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Thursday, September 6, 2012
"मनमोहन बेहद भ्रष्ट सरकार के मुखिया
विदेशी पत्रकारों कों भारतीय राजनीती का सही ज्ञान है लेकिन भारत का ये दुर्भाग्य है कि हमारेदेश के पत्रकार अभी भी कोंग्रेस और मनमोहन का गुणगान गा रहें हैं, और देश कि जनता को गुमराह कर रहें हैं, अब सवाल ये पैदा होता है कि अपने आप को लोकतंत्र का चौथा स्तम्भ बताने वाली ये मिडिया अपना दाइतव बखूबी निभा रहा है?? या चंद कागज के टुकड़ों कि खा
तिर अपना इमान कोंग्रेस के हाथों गिरवी रख चुकें हैं? मिडिया को भीयाद रखना चाहिए के इश देश को लुटवाने और बिकवाने में वो कोंग्रेस कि मदद कर के देश के साथ गद्दारी ही कर रहें हैं, आज ये मिडिया का दोगला चरित्र ही है जो सोसियल मिडिया इतना आगे बढ़ चूका है, अगर अभी भी मिडिया देश कि जनताको गुमराह करना बंद नहीं किया तो वो दिन दूर नहीं जब इन कि दुकान जल्द ही बंद हो जाय,,
माँ भारती के लाल स्वर्गीये 'श्रीलाल बहादुर शास्त्री जी' के बारे मे कुछ तथ्य
1.शास्त्री जी जातिवाद के खिलाफ थे इसलिए उन्होने उनके नाम के आगेश्रीवास्तव लिखना बंद कर दिया था ।
2.जब 1965 मे पाकिस्तान से युद्ध हुआ था तो शास्त्री जी ने भारतीय सेना का मनोबल इतना बड़ा दिया था की भारतीय सेना पाकिस्तानी सेना को गाजर मूली की तरह काटती चली गयी थी और पाकिस्तान का बहुत बड़ाहिस्सा जीत लिया था ।
3.जब भारत पाकिस्तान का युद्ध चल रहा तो अमेरिका ने भारत पर दबाव बनाने के लिए कहा था की भारत युद्ध खत्म कर दे नहीं तो अमेरिकाभारत को खाने के लिए गेहू देना बंद कर देगा तो इसके जवाब मे शास्त्री जी ने कहा की हम स्वाभिमान से भूखे रहना पसंद करेंगे किसी के सामने भीख मांगने की जगह । और शास्त्री जी देशवासियों से निवेदन किया की जब तक अनाज की व्यवस्था नहीं हो जातीतब तक सब लोग सोमवार का व्रत रखना चालू कर दे और खाना कम खाया करे ।
4.जब शास्त्री जी तस्केंत समझोते के लिए जा रहे थे तो उनकी पत्नी केकहा की अब तो इस पुरानी फटी धोती की जगह नई धोती खरीद ली जिये तो शास्त्री जी ने कहा इस देश मे अभी भी ऐसे बहुत से किसान है जो फटी हुई धोती पहनते है इसलिए मै अच्छेकपडे कैसे पहन सकता हु क्योकि मै उन गरीबो का ही नेता हूँ अमीरों का नहीं और फिर शास्त्री जी उनकी फटी पुरानी धोती को अपने हाथ से सिलकर तस्केंत समझोते के लिए गए ।
5. जब पाकिस्तान से युद्ध चल रहा था तो शास्त्री जी ने देशवासियों से कहा की युद्ध मे बहुत रूपये खर्च हो सकते है इसलिए सभी लोग अपने फालतू के खर्च कम कर दे और जितना हो सके सेना को धन राशि देकर सहयोग करें । और खर्च कम करने वाली बात शास्त्री जी ने उनके खुद के दैनिक जीवन मे भी उतारी । उन्होने उनके घर के सारे काम करने वाले नौकरो को हटा दिया था और वो खुद ही उनके कपड़े धोते थे , और खुद ही उनके घर की साफ सफाईऔर झाड़ू पोंछा करते थे ।
6. शास्त्री जी दिखने मे जरूर छोटे थे पर वो सच मे बहुत बहादुर और स्वाभिमानी थे ।
7. जब शास्त्री जी की मृत्यु हुई तो कुछ नीच लोगों ने उन पर इल्ज़ाम लगाया की शास्त्री जी भ्रस्टाचारी थे पर जांच होने के बाद पता चला की शास्त्री जी के बैंक के खाते मे मात्र 365/- रूपये थे । इससे पता चलता है की शास्त्री जी कितने ईमानदार थे ।
8. शास्त्री जी अभी तक के एक मात्रऐसे प्रधान मंत्री रहे हैं जिनहोने देश के बजट मे से 25 प्रतिशत सेना के ऊपर खर्च करने काफैसला लिया था । शास्त्री जी हमेशा कहते थे की देश का जवान और देश का किसान देश के सबसे महत्वपूर्ण इंसान हैं इसलिए इन्हे कोई भी तकलीफ नहीं होना चाहिए और फिर शास्त्री जी ने 'जय जवान जय किसान' का नारा दिया ।
9.जब शास्त्रीजि तस्केंत गए थे तोउन्हे जहर देकर मार दिया गया था और देश मे झूठी खबर फैला दी गयी थीकी शास्त्री जी की मृत्यु दिल का दौरा पड़ने से हुई । और सरकार ने इस बात पर आज तक पर्दा डाल रखा है ।
हम धन्य हैं की हमारी भूमि पर ऐसे स्वाभिमानी और देश भक्त इंसान ने जन्म लिया । यह बहुत गौरव की बात है की हमे शास्त्री जी जैसे प्रधान मंत्री मिले ।
जय जवान जय किसान !
शास्त्री जी ज़िंदाबाद !
इंकलाब ज़िंदाबाद !.....
श्री राजीव दीक्षित कौन थे जानिए............... ..
राजीव भाई अनेकों प्रतिभाओ के धनी थे उन्हे हजारो -हजार साल का इतिहास पूरी दुनिया का मुख जुबानी याद था वो पूरी दुनिया के अर्थशास्त्र पर अच्छी पकड़ रखते थे उनके द्वारा की गयी दुनिया की सभी आर्थिक भविष्यवाणिया जज्यो की त्यो साबित हुई
उन्होने सबसे पहले बतया था की भारत का धन विदेशी बैंको मे जमा है
राजीव भाई ऐसे मुद्दे पर भी युवाओको जानकारी दे गए जिन पर आज तक किसी भी समाज सेवी ने अपना मुह नहीं खोला था राजीव भाई ने इस देश को अँग्रेजी व्यवस्था के विरुद्धखड़ा किया
राजीव भाई ही वो पहले व्यक्ति है
जिन्होंने भारत की लूट आर्थिक,सामाजिक और धार्मिक का पूरा दस्तावेजो के साथ खुलासा किया
राजीव भाई ही वो पहले व्यक्ति है जिनहोने बताया की दुनिया की हर तकनीकी का आविष्कार करोड़ो वर्ष पर भारत मे हो चुका था
राजीव भाई ने दस्तावेजो के आधार पर ये सिद्ध कर दिया की अंग्रेज़ो ने भारत को शासन व्यवस्था के नाम लूट व्यवस्था मे धकेल दिया है
राजीव भाई के बारे मे बहुत से और बाते आप उन्हे खुद सुनिए http:// www.youtube.com/ user/ashwinisoni , http:// www.youtube.com/ user/ jitendraprahri?f eature=results_ main
Tuesday, September 4, 2012
एक नया भारत बनाने काइरादा मन मेँ है
थोरियम एक "रेडियोएक्टिव" पदार्थहै जिसका उपयोग परमाणु ऊर्जा बनाने के लिए होता है l
भारत में इसके भण्डार प्रचुर मात्रा में उपलब्ध है, जिसका मूल्य 48 लाख करोड़ रुपयों से भी ज्यादा है l
इसकी शुरुआत तब होती है, जब पूर्व अमरीकी राष्ट्रपति जोर्
ज बुश भारत आये थे और एक सिविल न्यूक्लीयर डील पर हस्ताक्षर किये गए जिसके अनुसार अमरीका भारत को युरेनियम-235 देने की बात कही l उस समय पूरी मीडिया ने मनमोहन सिंह की तारीफों के पुल बांधे और इस डील को भारत के लिए बड़ी उपलब्धि बताया, पर पीछे की कहानी छुपा ली गयी l
आप ही बताइए जो अमरीका 1998 के परमाणु परीक्षणों के बाद भारत पर कड़े प्रतिबंध लगाता है वो भारत परइतना उदार कैसे हो गया की सबसे कीमती रेडियोएक्टिव पदार्थ भारत को मुफ्त में देने की डील करने लगा ?
दरअसल इसके पीछे की कहानी यह है की इस युरेनियम-235 के बदले मनमोहन सिंह ने यह पूरा थोरियम भण्डार अमरीका को बेच दिया जिसका मूल्य अमरीका द्वारा दिए गए युरेनियम से लाखो गुना ज्यादा है l आपको याद होगा की इस डील के लिए मनमोहन सिंह ने UPA-1 सरकार को दांव पर लगा दिया था, फिर संसद मेंवोटिंग के समय सांसदों को खरीद करअपनी सरकार बचायी थी l यह उसी कड़ी का एक हिस्सा है l
थोरियम का भण्डार भारत में उसी जगह पर है जिसे हम 'रामसेतु' कहते हैं, यह रामसेतु भगवान राम ने लाखों वर्ष पूर्व बनाया था, क्योंकि यह मामला हिन्दुओं की धार्मिक आस्था से जुड़ा था इसलिए मनमोहन सरकार ने इसे तोड़ने के बड़े बहाने बनाये .......जिसमें से एकबहाना यह था की रामसेतु तोड़ने से भारत की समय और धन की बचत होगी, जबकि यह नहीं बताया गया की इससे भारत को लाखों करोड़ की चपत लगेगीक्योंकि उसमें मनमोहन सिंह, कांग्रेस और उसके सहयोगी पार्टी डीएमके का निजी स्वार्थ था l
भारत अमरीका के बीच डील ये हुई थी की रामसेतु तोड़कर उसमें से थोरियम निकालकर अमरीका भिजवाना था तथा जिस कंपनी को यह थोरियम निकालने का ठेका दिया जाना था वो डीएमके के सदस्य
टी आर बालू की थी.........अभी यह मामला सुप्रीमकोर्ट में लंबित है l
इस डील को अंजाम देने के लिए मनमोहन (कांग्रेस) सरकार भगवान राम का अस्तित्व नकारने का पूरा प्रयास कर रही है, ओने शपथपत्रों में रामायण को काल्पनिक और भगवान राम को मात्र एक 'पात्र' बताती है और सरकार की कोशिश है की ये जल्द से जल्द टूट जाये, जबकि अमरीकी अन्तरिक्ष एजेंसी नासा ने रामसेतु की पुष्टि अपनी रिपोर्ट में की है l
अतः यह जान लीजिये की अमरीका कोई मूर्ख नहीं है जिसे एकाएक भारत कोसमृद्ध बनाने की धुन सवार हो गयी है, यदि अमरीका 10 रुपये की चीज़ किसी को देगा तो उससे 100 रुपये का फायदा लेगा, और इस काम को करने के लिए उन्होंने अपना दलाल भारत में बिठाया हुआ है जिसका नाम है"मनमोहन सिंह" l
अब केवल कैग रिपोर्ट का इंतज़ार है...जो कुछ दिनों में इस घोटाले कीपुष्टि कर देगी.... यदि 1.86 लाख करोड़ का कोयला घोटाला महाघोटालाहै तो 48 लाख करोड़ के घोटाले को क्या कहेंगे ? आप ही बताइए
इस पर बारीक विश्लेषण के लिए राजीब भाई का यह विडियो देखें, उन्होंने इस घोटाले की पुष्टि 2008 में ही कर दी थी
http:// www.youtube.com/ watch?v=4kZi2Llz rbA
http:// indiandefenceboa rd.com/threads/ conspiracy-theor y-exposing-the- ram-sethu-samud ram-project.227 2/
http:// thestatesman.net / index.php?option =com_content&am p%3Bview=articl e&%3Bid=4220 57&%3Bcatid= 38
http:// abhijit-k-adhika ri.me/ indian-military- power/ thorium-energy/
http:// www.deccanherald .com/content/ 246849/ india-all-set-ta p-thorium.html
http:// www.telegraph.co .uk/finance/ comment/7970619/ Obama-could-kill -fossil-fuels-o vernight-with-a -nuclear-dash-f or-thorium.html
http:// www.guardian.co. uk/environment/ 2011/nov/01/ homi-bhabha-indi a-thorium-nucle ar
http:// spectrum.ieee.or g/energy/ nuclear/ qa-thorium-react or-designer-rat an-kumar-sinha
http:// www.impactlab.ne t/2006/08/22/ india-switches-f rom-uranium-to- thorium/
http:// www.smh.com.au/ environment/ energy-smart/ thoriumrich-indi a-plans-alterna tive-nuclear-re actor-20111104- 1mzw3.html
http:// www.power-techno logy.com/ features/ featureu-turn-th orium-safe-nucl ear-power-gener ation/ featureu-turn-th orium-safe-nucl ear-power-gener ation-2.html
http:// article.wn.com/ view/2007/09/17/ US_firm_offers_I ndia_thorium_re actors/
http:// indiandefenceboa rd.com/threads/ conspiracy-theor y-exposing-the- ram-sethu-samud ram-project.227 2/
http:// thestatesman.net / index.php?option =com_content&am p%3Bview=articl e&%3Bid=4220 57&%3Bcatid= 38
Monday, September 3, 2012
एक नया भारत बनाने काइरादा मन मेँ है
भारत का सुप्रीम कोर्ट जो फैसला सुनता है वो जम्मू कश्मीर पर लागूनहीं होता !
भारत की संसद मे जो कानून बनाता है ! वो जम्मू कश्मीर पर लागू नहींहोता !
बिल की पहली लाइन मे लिखा होता है (expect jammu and kashmir)
भारत का झण्डा अलग है कश्मीर का अलग है !! कश्मीर का झण्डा अलग है !
कोई भारतवासी कश्मीर मे जमीन नहीं खरीद सकता !!
कश्मीर की सरकार कहाँ से पैसा एकठा करती है कहाँ खर्च करती है इसकी जानकारी भारत सरकार नहीं रखती !!
और कश्मीर की सरकार से आप जब पुछेगे की आपने कितना पैसा कहाँ खर्च किया इसकी जानकारी दो !!
तो वो कहते है ! हम किसी (भारतवासी) को जानकारी देने के लिए मजबूर नहीं है !!
हर साल हिन्दू वैष्णो देवी के मंदिर करोड़ो दान देकर आते है!SHRINE BOARD कहाँ खर्च करता है कोई हिसाब नहीं !!
जम्मू कश्मीर से एकठा हुआ tax जम्मू कश्मीर पर ही लगेगा !!
आप बस नारो मे गाते रहो कश्मीर हमारा है !!
यह सब आपके चाचा नेहरू की ही देन है !!
सिर्फ एक बार यह विडियो देखो !! कश्मीर की समस्या और उसका हल जानो!!
http:// www.youtube.com/ watch?v=kNBXw4bt ew0
Sunday, September 2, 2012
ये हिन्दू एकता किस चिड़िया का नाम है :
1996 में भी इंटेलिज़ेंस विभाग के पूर्व निदेशक एवम् उत्तर प्रदेश के राज्यपाल श्री टी.वी. राजेश्वर ने लिखा था कि पूर्वी भारत में एक नये इस्लामिक राज्य का नक्शा उभर रहा है ।इतना ही नहीं सम्पूर्ण भारत में जहाँ मुस्लिम आबादी बढने लगती है प्रशासन उसे संवेदनशील माननेलगती है इस कारण से वैदिक धर्म के आयोजन करनें में बहुतसी कठिनाईयों का सामना कुछ मुस्लिम अवसरवादी नेताओं के कारण करना पडता है लगातार ऐसेआयोजनों की शिकायत पुलिसप्रशासन को की जाती है जिससे पुलिसप्रशासन ऐसे आयोजनों को अत्यधिक कठिनाई से और बहुत शर्तों को मनवाने बाद ही अनुमति देती हैं पुलिससंवेदनशील क्षेत्र कहकर ऐसे आयोजनों से बजने की जुगत में रहती है ।
साथ ही माननिय सर्वोच्च न्यायालयने नान डाँमिनेन्ट ग्रप को ही अल्पसंख्य माना हैऔर 3 मई 2007 को अल्पसँख्यक मुद्दे पर इलहाबादउच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति श्री एन.एस. श्रीवास्तव नें मुस्लिमों को अल्पसँख्यक की श्रेणी से बाहर रखने की सलाह दी थी क्योंकि यह नाँन डामिनेन्ट ग्रुप नहीं है।इनका राजनीति में भी दखल है अकेले उत्तर प्रदेश मेंदोनों सदनों में 50 से अआधिकविधायक है और 18 संसद सदस्य हैं ।
आगे प्रस्तुत है जनसंख्या से सम्बंधित आँकडे 1951 में हुई जनगणना में देश में हिन्दु जनसँख्या थी 85 प्रतिशत और 2001 की जनसँख्या के अनुसार हिन्दु जनसँख्या 5 प्रतिशत कम होकर 80 प्रतिशत रह गयी और 1951 में ही मुस्लिम अल्पसँख्यक नहीं थे 19511 में मुस्लिम जनसँख्या थी 20 प्रतिशत और 2001 में मुस्लिम जनसँख्यख्या 3 प्रतिशत बढकर 13 प्रतिशत हो गयी आगे की गणना और भी हतप्रभ करने वाली है क्या आप इस बात पर विश्वास कर सकते हैं कि 9 साल में मुस्लिम जनसँख्या 1.6 प्रतिशत बढी , देश के लगभग 40 जिलों में मुस्लिम जनसँख्या 50 प्रतिशत से अधिक है। जम्बू कश्मीर,केरल,पश् चिम बंगाल,असम,बिहार ,और उत्तर प्रदेश अत्यधिक मुस्लिम जनसँख्या वाले हो गये हैं । बाँग्लादेश से सटे लगभग सभी 10 जिले और 22 लोकसभा क्षेत्र मुस्लिम बहुल्य हो चुके हैं। असम के 6 जिले तथा 126 में से 40 विधानसभा क्षेत्र मुस्लिम प्रभुत्व वाले हो गये हैं। पश्चिम बंगाल में 28000 गाँवों मेंसे 8000 गाँवों मे हिन्दु अत्यन्त अल्प हो गये हैं तथा 10 जिलों में 24 प्रतिशत से अधिक जनसँख्या मुस्लिम है।उत्तर प्रदेश के 70 में से 19 जिले 20 प्रतिशत से अधिक मुस्लिम जनसँख्या के हैं ।सबसे हैरान करने वाले आँकडे हरियाणा के है हरियाणा में मुस्लिम जनसँख्या तीन गुना बढी है । जम्बूकश्मीर केसात जिलों में 90 प्रतिशत मुस्लिम जनसँख्या है।सम्पूर्ण केरल में मुस्लिम जनसँख्या 19.2 प्रतिशत है और देश की राजधानीदेहली में 1951 में मुस्लिम 5.71 प्रतिशत था और 2010 में यह जनसँख्या तीन गुणा हो गयी है
परिवार नियोजन पर अल्पसंख्यकों का प्रचलित उत्तर यही रहता है कि कुरान हमें परिवार नियोजन अपनानेकी इजाजत नहीं देता है अथवा बच्चेअल्लाह की देन है इसे रेकना नहीं चाहिये तो उनसे मेरे कुछ प्रश्न हैं ओमान में4.5% ,सीरिया और लीबिया में 3.7% बँग्लादेश में 3.3% जार्डन में 3.1% केन्या में2.7% कुवैत में 2.6% और पाकिस्तान में 2.2% जनसँख्या में कमी परिवार नियोजन को अपनाने के कारण आयेऔर वहाँ की इस्लामी सरकारे परिवार नियोजन पर बहुत अधिक रकम खर्च कर रही है यदि इस्लामी कानून इसकी इजाज़त नहीं देता टी इन इस्लामिक देशों में परिवार नियोजन योजनाएं सरकारी खर्चों पर क्यूँ चल रही हैं ?
साथ ही एक और प्रश्न भी है यदिबच्चे अल्लाह की देन है तो बीमारियाँ के भी तो अल्लाह कीदी सज़ा के रूप में माने उनका ईलाज करवाने क्यूँ डाँक्टर के पास जाते हैं ये सब कुतर्क हैं जो जनता में फैलाये जाते है पाखण्डी धर्माधिकारियों द्वारा जिससे देश में अल्पसँख्यक एक दिन बहुसँख्यकहोकर भी अल्पसँख्यकों को मिलने वाले लाभ उठाते रहें ।
अल्पसँख्यकों को पहले ही पर्याप्त अधिकार दिये जा चुके हैं ।शुक्रवार को नमाज़ का छूट,पूरे विश्व में कहीं भी हजयात्रा में कोई छूट नहींहोती लेकिन भारत में हजयात्रा पर छूट मिलती है, आपको यह जानकार आश्चर्यहोगा की हमारी सरकार ने हज यात्राओपर अब तक लगभग 10 हजार करोड़ रुपये फूँक दिये है
Saturday, September 1, 2012
मत छेड़ो पाकिस्तानी मुल्लों हमकोछोटे मोटे दंगो से | बाप तुम्हारे बने भेड़िये, कासिम,गोरी के गोरखधंधों से || औकात तुम्हारी कुछ ना होती जिन्ना गांधी जो ना होते | सड़कों पर तुम भीख मांगते राम लल्ला के हम बन्दों से || कश्मीर का ख्वाब ऐसा जैसे बिल्ली के ख्वाबो में छिचड़े आते है | कराची , लाहोर भी एक दिन छिनेगे हमतुम सूअरों के पिल्लो से || आतंक का व्यापार हो करते तुम चोरीचोरी चुपके चुपके | सामने आकर लड़ने से क्यों डरते हो तुम हम भारत माँ के बच्चो से || अल्लाह भी तुम्हारा बचा ना पायेगा जब हम अपनी पर आ जायेगे | राम राम चिल्लाओगे तुम सूअर पाकिस्तानी मस्जिदों के गुम्बद से || बांग्लादेश अलग कराया अब बलूचिस्तान की बारी है | कुछ ना उखड़ा कुछ ना उखड़ेगा तुम जिन्ना के नाजायज दल्लों से || मत छेड़ो पाकिस्तानी मुल्लों हमकोछोटे मोटे दंगो से | बाप तुम्हारे बने भेड़िये, कासिम,गोरी के गोरखधंधों से ||
राम का डाक टिकट इंडोनेशिया में १९६२ में रामायण पर आधारित ६ डाक टिकटों की एक मालिका निकाली गई. १० रुपयों केटिकट पर राम, तो ३० रुपये के टिकट पर राम, सीता और सुवर्णमृग के चित्र थे. इंडोनेशियामुस्ल िमबहुल देश है. वहॉं मुसलमानों कीसंख्या ८६ प्रतिशत से अधिक है; और हिंदू है करीब २ प्रतिशत.राम और रामायण के बारे में उस देश को आत्यंतिक प्रेम और आदर है. इंडोनेशिया के समान ही दक्षिण-पूर्व एशिया में म्यांमार और व्हिएतनाम के बीच लाओस नाम का देशहै.यह कम्युनिस्ट देश है. लेकिन उसदेश ने भी अनेक बार राम और उससे संबंधित व्यक्तियों पर डाकटिकट निकाले हैं. यह बौद्धों का देश है. ९४ प्रतिशत जनसंख्या बौद्ध है. उसने १९७३ में रामायणाधारित ८डाकटिकट प्रकाशित किए
Friday, August 24, 2012
इस पोस्ट को लेकर मुझे हिन्दू होने की मर्यादा मत सिखाना.... बहेके जा रहे सेक्युलर प्रभाव को लेकर यह पोस्ट है..... यही है चरित्र निर्माण इसाईयो का,यही हैं असलियत इसायियोंकी..... . पोलैंड के न्यायालय में एक नन ने निवेदन रखा कि हिन्दू धर्म और इस्कॉन पर प्रतिबन्ध लगा दिया जाये क्यूंकि यह श्रीकृष्ण कि महिमा मंडित करते है जबकि श्रीकृष्ण ने १६१०८ विवाह किया था जिससे सिद्ध होता है कि श्रीकृष्ण एक चरित्रहीन व्यक्ति थे, हिन्दुओं के अधिवक्ता ने सुनवाई के समय कहा कि "न्यायाधीश महोदय आप आ ज्ञा दीजिये नन महोदया को कि नन बनते समय उनहोंने जो शपथ लिया था उसे दोहराएँ" , नन ने दोहराने से मना कार दिया, हिन्दुओं के अधिवक्ता ने पुनः न्यायाधीश महोदय से निवेदन किया कि "आप शपथ दोहराने के लिए कहिये" पर नन ने पुनः मना कार दिया इस पर हिन्दुओंके अधिवक्ता ने न्यायाधीश महोदय से कहा कि "यदि आप आज्ञा दें तो मैं वह शपथ न्यायालय में दोहरा सकता हूँ" , न्यायाधीश ने आज्ञा दिया , हिन्दुओं के अधिवक्ता ने कहा पुरे विश्व में नन बनते समय लड़कियां यह शपथ लेती है कि "मै जीजस को अपना पति स्वीकार करती हूँ और उनके अलावा किसी अन्य पुरुष से शारीरिक सम्बन्ध नहीं बनाउंगी, " तो न्यायाधीश महोदय यह बतैये कि अबसे पहले कितने लाख ननों ने जीसस से विवाह किया और भविष्य में भी ना जाने कितने लोग विवाह करेंगे तो क्या ईसाईयों और इसाई धर्म पर प्रतिबन्ध लगा दिया जाये ? जिस पर नन ने अपना केस वापसले लिया!! --------------- --------------- --------------- --------------- --------------- -- एक और सच्ची घटना - जर्मनी में एक बहस के दौरान एक मिशनरी पादरी ने कहा, "हिन्दुओं ने कभी भी भारत से बाहर निकलकर अपने धर्म का प्रचार-प्रसार इसलिए नहीं किया, क्योंकि वे जानते थे कि इसकी कोई कीमत ही नहीं है…" तत्काल इसका प्रतिवाद करते हुए एक विद्वान मैक्समुलर ने कहा,"यदि कोई व्यक्ति अपनी माँ की सुन्दरता का प्रचार करते हुए खुद की कीमत आँकता है, तो बाहरी दुनिया उसकी माँ को वेश्या समझती है… जबकि यदि तुम्हें अपनी माँ की इज़्ज़त बढ़ानी हो तो अपने कर्मों के द्वारा बढ़ाओ…। प्रत्येक माँ की कीमत उसके बेटे द्वारा किए गए कर्मों द्वारा सिद्ध होती है, यदि पुत्र के कर्म सत्कर्म हैं तो स्वयमेव ही उसकी माँ की इज़्ज़त बढ़ जाती है… इस हेतु उसे बाहर निकलकर प्रचार-प्रसार करने की आवश्यकता नहीं है…" =============== = जर्मनी के तत्कालीन कट्टर चर्च ने इस बयान के लिए मैक्सम्यूलर कोप्रतिबन्धित कर दिया था… इस चर्चित बयान के बाद अचानक दुनिया के सभी पश्चिमी विद्वान, हिन्दुत्व को समझने के लिए भारत की ओर दौड़ पड़े —
।। जयतु संस्कृतम् । जयतु भारतम् ।।
हिंदुत्व शंखनाद
वेद ज्ञान को आधार मान कर न्यूलैंड के एक वैज्ञानिक स्टेन क्रो ने एक डिवाइस विकसित कर लिया। ध्वनि पर आधारित इस डिवाइस से मोबाइल की बैटरी चार्ज हो जातीहै। इस बिजली की आवश्यकता नहीं होती है।
भारत के वरिष्ठ अंतरिक्ष वैज्ञानिक ओमप्रकाश पांडे ने वेदों में निहित ज्ञान पर प्रकाश डालते हुए दैनिक भास्कर प्रतिनिधि से बातचीत में यह जानकारी दी। उन्होंने बताया कि इस डिवाइस का नाम भी ओम डिवाइस रखा गया है।
उन्होंने कहा कि संस्कृत को अपौरुष भाषा इसलिए कहा जाता है किइसकी रचना ब्रह्मांड की ध्वनियोंसे हुई है।
उन्होंने बताया कि गति सर्वत्र है। चाहे वस्तु स्थिर हो या गतिमान। गति होगी तो ध्वनि निकलेगी। ध्वनि होगी तो शब्द निकलेगा। सौर परिवार के प्रमुख सूर्य के एक ओर से नौ रश्मियां निकलती हैं और ये चारों और से अलग-अलग निकलती है। इस तरह कुल 36रश्मियां हो गई। इन 36 रश्मियों के ध्वनियों पर संस्कृत के 36 स्वर बने। इस तरह सूर्य की जब नौ रश्मियां पृथ्वी पर आती है तो उनका पृथ्वी के आठ बसुओं से टक्करहोती है। सूर्य की नौ रश्मियां औरपृथ्वी के आठ बसुओं की आपस में टकराने से जो 72 प्रकार की ध्वनियां उत्पन्न हुई वे संस्कृतके 72 व्यंजन बन गई। इस प्रकार ब्रह्मांड में निकलने वाली कुल 108 ध्वनियां पर संस्कृत की वर्णमाला आधारित है।
उन्होंने बताया कि ब्रह्मांड की ध्वनियों के रहस्य के बारे में वेदों से ही जानकारी मिलती है। इनध्वनियों को नासा ने भी माना है। इसलिए यह बात साबित होती है कि वैदिक काल में ब्रह्मांड में होने वाली ध्वनियों का ज्ञान ऋषियों को था।
सनातन परमो धर्मा
।। जयतु संस्कृतम् । जयतु भारतम् ।।
।। जयतु संस्कृतम् । जयतु भारतम् ।।
हिंदुत्व शंखनाद
वेद ज्ञान को आधार मान कर न्यूलैंड के एक वैज्ञानिक स्टेन क्रो ने एक डिवाइस विकसित कर लिया। ध्वनि पर आधारित इस डिवाइस से मोबाइल की बैटरी चार्ज हो जातीहै। इस बिजली की आवश्यकता नहीं होती है।
भारत के वरिष्ठ अंतरिक्ष वैज्ञानिक ओमप्रकाश पांडे ने वेदों में निहित ज्ञान पर प्रकाश डालते हुए दैनिक भास्कर प्रतिनिधि से बातचीत में यह जानकारी दी। उन्होंने बताया कि इस डिवाइस का नाम भी ओम डिवाइस रखा गया है।
उन्होंने कहा कि संस्कृत को अपौरुष भाषा इसलिए कहा जाता है किइसकी रचना ब्रह्मांड की ध्वनियोंसे हुई है।
उन्होंने बताया कि गति सर्वत्र है। चाहे वस्तु स्थिर हो या गतिमान। गति होगी तो ध्वनि निकलेगी। ध्वनि होगी तो शब्द निकलेगा। सौर परिवार के प्रमुख सूर्य के एक ओर से नौ रश्मियां निकलती हैं और ये चारों और से अलग-अलग निकलती है। इस तरह कुल 36रश्मियां हो गई। इन 36 रश्मियों के ध्वनियों पर संस्कृत के 36 स्वर बने। इस तरह सूर्य की जब नौ रश्मियां पृथ्वी पर आती है तो उनका पृथ्वी के आठ बसुओं से टक्करहोती है। सूर्य की नौ रश्मियां औरपृथ्वी के आठ बसुओं की आपस में टकराने से जो 72 प्रकार की ध्वनियां उत्पन्न हुई वे संस्कृतके 72 व्यंजन बन गई। इस प्रकार ब्रह्मांड में निकलने वाली कुल 108 ध्वनियां पर संस्कृत की वर्णमाला आधारित है।
उन्होंने बताया कि ब्रह्मांड की ध्वनियों के रहस्य के बारे में वेदों से ही जानकारी मिलती है। इनध्वनियों को नासा ने भी माना है। इसलिए यह बात साबित होती है कि वैदिक काल में ब्रह्मांड में होने वाली ध्वनियों का ज्ञान ऋषियों को था।
सनातन परमो धर्मा
।। जयतु संस्कृतम् । जयतु भारतम् ।।
Wednesday, August 15, 2012
मानसिकता का अंतर ..और कौन धर्म क्या सिखाता है ---- पिछले एक महीने के ताज़ा उदहारण , अन्ना जी का अनशन नौ दिन चलता है..दिल्ली के अति महत्वपूर्ण स्थान जंतर-मंतर पर .....दो से दस हज़ार लोगों की भीड़ रात - दिन हर वक़्त मौजूद रहती है .....कोई तोड़ फोड़ नहीं होती ...एक पैसे का भी राष्ट्रीय सम्पति का नुक्सान नहीं होता ...किसी व्यक्ति की किसी से भी तू-तू--मैं -मैं भी नहीं होती ........ बाबा राम देव का अनशन व् आन्दोलन छ दिन चलता है ...संवेदनशील स्थान , रामलीला मैदान पर ...दिन- रात बीस से पचास हज़ार लोगों की भीड़ हर वक़्त रहती है , कोई तोड़ फोड़ नहीं होती ...एक पैसे का भी राष्ट्रीय सम्पति का नुक्सान नहीं होता ...किसी व्यक्ति की किसी से भी तू-तू--मैं -मैं भी नहीं होती ........ दोनों आन्दोलन मर्यादा में रहकर समाप्त हो जाते है , दोनों बार मुद्दे राष्ट्र हित में होते है ...सभी को फायदा होना होता है ...किसी व्यक्ति विशेष या समुदाय से जुड़े कोई भी मुद्दे नहीं ..सभी मुद्दे राष्ट्र हित,में ..... अब तस्वीर का दूसरा पहलू देखिये .. रमजान का पवित्र महिना चल रहा होता है ....मेट्रो की खुदाई में एक प्राचीन दीवार के अवशेष मिलते है......रातों रात सरकारी संपत्ति पर उन्मादी भीड़ द्वारा कब्ज़ा कर लिया जाता है ....पुलिस के ऊपर हमला किया जाता है ...कई व्यक्तियों की मौत हो जाती है ..अनगिनत घायल हो जाते है ...मामला हाई कोर्ट पहुँच जाता है ....और आदेश के वावजूद विवादित ढ़ांच नहीं गिराया जाता है ...मुसलमानों का इतना खौफ ....की पुलिस डंडे खाती है ..सरकार कोर्ट का आदेश पारित नहीं करवा पाती ....... दूसरा उदहारण मुम्बई के आज़ाद मैदान में अचानक पूर्व योजना के साथ उन्मादी भीड़ इकठी होती है....करोडो ..की संपत्ति जलाई जाती है...तोड़ फोड़ की जाती है ....कई व्यक्तियों की मौत होती है....अनगिनत घायल होते है ...पुलिस पर हमला होता है ...कई पुलिस वाले घायलहोते है ...मामला कोर्ट में पहुँच जाता है ....... दोनों बार भीड़ बिना किसी राष्ट्र हित के , बिना किसी कारण के , बिना मुद्दे के एकत्रित होती है ...उन्मादित होकर तोड़ फोड़ दंगा मचाती है . फैसला आपका है ..... कौन धर्म क्या सिखाता है ??? वर्तमान सरकार किसके साथ है ?? कौन ज्यादा टैक्स देता है ?? किसको ज्यादा छूट मिलती है ?? पुलिसिया कहर सबसे ज्यादा किसपर बरसता है ?? पुलिस किस समुदाय से बार - बार पिटती है ??? ठन्डे दिमाग से सोचना और बताना कीक्या हम सेकुलर देश में जी रहे है या किसी मुस्लिम राष्ट्र में ??? बहुसंख्यक होने के वावजूद भी...हमारा हाल ...अल्पसंख्यको से भी बदतर क्यों है ?
मानसिकता का अंतर ..और कौन धर्म क्या सिखाता है ---- पिछले एक महीने के ताज़ा उदहारण ,
अन्ना जी का अनशन नौ दिन चलता है..दिल्ली के अति महत्वपूर्ण स्थान जंतर-मंतर पर .....दो से दस हज़ार लोगों की भीड़ रात - दिन हर वक़्त मौजूद रहती है .....कोई तोड़ फोड़ नहीं होती ...एक पैसे का भी राष्ट्रीय सम्पति का नुक्सान नहीं होता ...किसी व्यक्ति की किसी से भी तू-तू--मैं -मैं भी नहीं होती ........
बाबा राम देव का अनशन व् आन्दोलन छ दिन चलता है ...संवेदनशील स्थान , रामलीला मैदान पर ...दिन- रात बीस से पचास हज़ार लोगों की भीड़ हर वक़्त रहती है , कोई तोड़ फोड़ नहीं होती ...एक पैसे का भी राष्ट्रीय सम्पति का नुक्सान नहीं होता ...किसी व्यक्ति की किसी से भी तू-तू--मैं -मैं भी नहीं होती ........
दोनों आन्दोलन मर्यादा में रहकर समाप्त हो जाते है ,
दोनों बार मुद्दे राष्ट्र हित में होते है ...सभी को फायदा होना होता है ...किसी व्यक्ति विशेष या समुदाय से जुड़े कोई भी मुद्दे नहीं ..सभी मुद्दे राष्ट्र हित,में .....
अब तस्वीर का दूसरा पहलू देखिये ..
रमजान का पवित्र महिना चल रहा होता है ....मेट्रो की खुदाई में एक प्राचीन दीवार के अवशेष मिलते है......रातों रात सरकारी संपत्ति पर उन्मादी भीड़ द्वारा कब्ज़ा कर लिया जाता है ....पुलिस के ऊपर हमला किया जाता है ...कई व्यक्तियों की मौत हो जाती है ..अनगिनत घायल हो जाते है ...मामला हाई कोर्ट पहुँच जाता है ....और आदेश के वावजूद विवादित ढ़ांच नहीं गिराया जाता है ...मुसलमानों का इतना खौफ ....की पुलिस डंडे खाती है ..सरकार कोर्ट का आदेश पारित नहीं करवा पाती .......
दूसरा उदहारण मुम्बई के आज़ाद मैदान में अचानक पूर्व योजना के साथ उन्मादी भीड़ इकठी होती है....करोडो ..की संपत्ति जलाई जाती है...तोड़ फोड़ की जाती है ....कई व्यक्तियों की मौत होती है....अनगिनत घायल होते है ...पुलिस पर हमला होता है ...कई पुलिस वाले घायलहोते है ...मामला कोर्ट में पहुँच जाता है .......
दोनों बार भीड़ बिना किसी राष्ट्र हित के , बिना किसी कारण के , बिना मुद्दे के एकत्रित होती है ...उन्मादित होकर तोड़ फोड़ दंगा मचाती है .
फैसला आपका है ..... कौन धर्म क्या सिखाता है ???
वर्तमान सरकार किसके साथ है ??
कौन ज्यादा टैक्स देता है ??
किसको ज्यादा छूट मिलती है ??
पुलिसिया कहर सबसे ज्यादा किसपर बरसता है ??
पुलिस किस समुदाय से बार - बार पिटती है ???
ठन्डे दिमाग से सोचना और बताना कीक्या हम सेकुलर देश में जी रहे है या किसी मुस्लिम राष्ट्र में ???
बहुसंख्यक होने के वावजूद भी...हमारा हाल ...अल्पसंख्यको से भी बदतर क्यों है ?
मानसिकता का अंतर ..और कौन धर्म क्या सिखाता है ---- पिछले एक महीने के ताज़ा उदहारण , अन्ना जी का अनशन नौ दिन चलता है..दिल्ली के अति महत्वपूर्ण स्थान जंतर-मंतर पर .....दो से दस हज़ार लोगों की भीड़ रात - दिन हर वक़्त मौजूद रहती है .....कोई तोड़ फोड़ नहीं होती ...एक पैसे का भी राष्ट्रीय सम्पति का नुक्सान नहीं होता ...किसी व्यक्ति की किसी से भी तू-तू--मैं -मैं भी नहीं होती ........ बाबा राम देव का अनशन व् आन्दोलन छ दिन चलता है ...संवेदनशील स्थान , रामलीला मैदान पर ...दिन- रात बीस से पचास हज़ार लोगों की भीड़ हर वक़्त रहती है , कोई तोड़ फोड़ नहीं होती ...एक पैसे का भी राष्ट्रीय सम्पति का नुक्सान नहीं होता ...किसी व्यक्ति की किसी से भी तू-तू--मैं -मैं भी नहीं होती ........ दोनों आन्दोलन मर्यादा में रहकर समाप्त हो जाते है , दोनों बार मुद्दे राष्ट्र हित में होते है ...सभी को फायदा होना होता है ...किसी व्यक्ति विशेष या समुदाय से जुड़े कोई भी मुद्दे नहीं ..सभी मुद्दे राष्ट्र हित,में ..... अब तस्वीर का दूसरा पहलू देखिये .. रमजान का पवित्र महिना चल रहा होता है ....मेट्रो की खुदाई में एक प्राचीन दीवार के अवशेष मिलते है......रातों रात सरकारी संपत्ति पर उन्मादी भीड़ द्वारा कब्ज़ा कर लिया जाता है ....पुलिस के ऊपर हमला किया जाता है ...कई व्यक्तियों की मौत हो जाती है ..अनगिनत घायल हो जाते है ...मामला हाई कोर्ट पहुँच जाता है ....और आदेश के वावजूद विवादित ढ़ांच नहीं गिराया जाता है ...मुसलमानों का इतना खौफ ....की पुलिस डंडे खाती है ..सरकार कोर्ट का आदेश पारित नहीं करवा पाती ....... दूसरा उदहारण मुम्बई के आज़ाद मैदान में अचानक पूर्व योजना के साथ उन्मादी भीड़ इकठी होती है....करोडो ..की संपत्ति जलाई जाती है...तोड़ फोड़ की जाती है ....कई व्यक्तियों की मौत होती है....अनगिनत घायल होते है ...पुलिस पर हमला होता है ...कई पुलिस वाले घायलहोते है ...मामला कोर्ट में पहुँच जाता है ....... दोनों बार भीड़ बिना किसी राष्ट्र हित के , बिना किसी कारण के , बिना मुद्दे के एकत्रित होती है ...उन्मादित होकर तोड़ फोड़ दंगा मचाती है . फैसला आपका है ..... कौन धर्म क्या सिखाता है ??? वर्तमान सरकार किसके साथ है ?? कौन ज्यादा टैक्स देता है ?? किसको ज्यादा छूट मिलती है ?? पुलिसिया कहर सबसे ज्यादा किसपर बरसता है ?? पुलिस किस समुदाय से बार - बार पिटती है ??? ठन्डे दिमाग से सोचना और बताना कीक्या हम सेकुलर देश में जी रहे है या किसी मुस्लिम राष्ट्र में ??? बहुसंख्यक होने के वावजूद भी...हमारा हाल ...अल्पसंख्यको से भी बदतर क्यों है ?
Monday, August 6, 2012
it's amazing kya aap jante hai ?
जिस समय न्यूटन के पुर्वज जंगली लोग थे ,उस समय मह्रिषी भाष्कराचार्य ने प्रथ्वी की गुरुत्वाकर्षण शक्ति पर एक पूरा ग्रन्थ रच डाला था. किन्तु आज हमें कितना बड़ा झूंठ पढना पढता है कि गुरुत्वाकर्षण शक्ति कि खोंज न्यूटन ने की ,ये हमारे लिए शर्म की बात है. भास्कराचार्य सिद्धान्त की बात कहते हैं कि वस्तुओं की शक्ति बड़ी विचित्र है। मरुच्लो भूरचला स्वभावतो यतोविचित्रावतवस्तु शक्त्य:।। - सिद्धांतशिरोमणि गोलाध्याय - भुवनकोश आगे कहते हैं- आकृष्टिशक्तिश्च मही तया यत् खस्थं गुरुस्वाभिमुखं स्वशक्तत्या। आकृष्यते तत्पततीवभाति समेसमन्तात् क्व पतत्वियं खे।। - सिद्धांतशिरोमणि गोलाध्याय - भुवनकोश अर्थात् पृथ्वी में आकर्षण शक्ति है। पृथ्वी अपनी आकर्षण शक्ति से भारी पदार्थों को अपनी ओर खींचती है और आकर्षण के कारण वह जमीन पर गिरते हैं। पर जब आकाश में समान ताकत चारों ओर से लगे, तो कोई कैसेगिरे? अर्थात् आकाश में ग्रह निरावलम्ब रहते हैं क्योंकि विविध ग्रहों की गुरुत्व शक्तियाँ संतुलन बनाए रखती हैं। ऐसे ही अगर यह कहा जाय की विज्ञान के सारे आधारभूत अविष्कार भारत भूमि पर हमारे विशेषज्ञ ऋषि मुनियों द्वारा हुए तो इसमें कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी ! सबके प्रमाण उपलब्ध हैं ! आवश्यकता स्वभाषा में विज्ञान की शिक्षा दिए जाने की है !
Saturday, July 28, 2012
(भारतीय संस्कृति ही सर्वश्रेष्ठ है)
आर पार लड़ाई का शंखनाद 9 अगस्त 2012 , अब या तो हम रहेंगें या ये भ्रष्ट व्यवस्था ... चलो दिल्ली
देश में पिछले 10 वर्षों में देश के अन्नदाता व भूमिपुत्र दो लाख किसानों द्वारा की गई आत्महत्या, प्रतिवर्ष 20 हज़ार किसानों की आत्माहत्या तथा प्रतिदिन 56 व प्रत्येक घण्टे में 2 किसान आत्महत्या कर लेते हैं !
देश के लोकतन्त्र पर इससे बड़ा कलंक कुछ और नहीं हो सकता ! ( स्रोत- नेशनल क्राइम ब्यूरो के अनुसार जो रिपोर्टेड केस हैं)
देश में प्रतिवर्ष 60 से 70 लाखलोग , प्रतिदिन 20 हज़ार (20,000 ) लोग , प्रत्येक घण्टे में 833 तथा प्रति मिनट 13 व्यक्ति भूख व कुपोषण से मर रहे हैं ( स्रोत :- ग्लोबल हंगर इण्डेक्स के अनुसार )
देश में 84 करोड़ लोग 20 रूपये मात्र पर प्रतिदिन जीवन - यापन कर रहे हैं और ये 84 करोड़ लोग मूलभूत सुविधाओं से भी वंचित हैं! ( प्रोफ़ेसर अर्जुनसेन गुप्त व भारत सरकार के आर्थिक सर्वेक्षणों की रिपोर्ट )
आज आज़ादी के 65 वर्षों बाद भी 3करोड़ 33 लाख 5 हज़ार 845 मामलेदेश की विभिन्न अदालतों में लम्बित हैं ! सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड चीफ जस्टिस जे.एस. वर्मा के अनुसार इन लम्बित मामलों को निपटाने में लगभग 350वर्ष लगेंगें !
"सोचिये जरा" ये न्याय के नाम पर कितना बड़ा अन्याय है और हमारे ईमानदार जज भी कई बार अंग्रेजों द्वारा बनाये गए गलत कानूनों के कारण न्याय की उपेक्षा मात्र फैसला ही दे पाते हैं !
भोपाल गैस काण्ड इसका सबसे बड़ा उदाहरण है!
हमारी लड़ाई भारत के अन्तिम व्यक्ति को सामजिक व आर्थिक न्याय दिलाने की है, विदेशों में जमा काला धन देश को वापस दिलाने की, भ्रष्टाचार के विरूद्ध सशक्त जनलोकपाल बिल बनवाना और अंग्रेजों द्वारा बनायीं गयी अन्यायपूर्ण भ्रष्ट व्यवस्था में परिवर्तन लाने की है.. हम अपनी अन्तिम साँस तक इस लड़ाई को लड़ेंगें !
जय हो !-स्वामी रामदेव
आन्दोलन से जुड़ने के लिए 02233081122 टोल फ्री नम्बर पर मिस कॉल करें एवं www.bharatswabh imantrust.org
अधिक जानकारी प्राप्त करें !
वन्दे मातरम् ,
जय गौ मातरम्
भारत माता की जय , इन्कलाब जिन्दाबाद
देश में पिछले 10 वर्षों में देश के अन्नदाता व भूमिपुत्र दो लाख किसानों द्वारा की गई आत्महत्या, प्रतिवर्ष 20 हज़ार किसानों की आत्माहत्या तथा प्रतिदिन 56 व प्रत्येक घण्टे में 2 किसान आत्महत्या कर लेते हैं !
देश के लोकतन्त्र पर इससे बड़ा कलंक कुछ और नहीं हो सकता ! ( स्रोत- नेशनल क्राइम ब्यूरो के अनुसार जो रिपोर्टेड केस हैं)
देश में प्रतिवर्ष 60 से 70 लाखलोग , प्रतिदिन 20 हज़ार (20,000 ) लोग , प्रत्येक घण्टे में 833 तथा प्रति मिनट 13 व्यक्ति भूख व कुपोषण से मर रहे हैं ( स्रोत :- ग्लोबल हंगर इण्डेक्स के अनुसार )
देश में 84 करोड़ लोग 20 रूपये मात्र पर प्रतिदिन जीवन - यापन कर रहे हैं और ये 84 करोड़ लोग मूलभूत सुविधाओं से भी वंचित हैं! ( प्रोफ़ेसर अर्जुनसेन गुप्त व भारत सरकार के आर्थिक सर्वेक्षणों की रिपोर्ट )
आज आज़ादी के 65 वर्षों बाद भी 3करोड़ 33 लाख 5 हज़ार 845 मामलेदेश की विभिन्न अदालतों में लम्बित हैं ! सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड चीफ जस्टिस जे.एस. वर्मा के अनुसार इन लम्बित मामलों को निपटाने में लगभग 350वर्ष लगेंगें !
"सोचिये जरा" ये न्याय के नाम पर कितना बड़ा अन्याय है और हमारे ईमानदार जज भी कई बार अंग्रेजों द्वारा बनाये गए गलत कानूनों के कारण न्याय की उपेक्षा मात्र फैसला ही दे पाते हैं !
भोपाल गैस काण्ड इसका सबसे बड़ा उदाहरण है!
हमारी लड़ाई भारत के अन्तिम व्यक्ति को सामजिक व आर्थिक न्याय दिलाने की है, विदेशों में जमा काला धन देश को वापस दिलाने की, भ्रष्टाचार के विरूद्ध सशक्त जनलोकपाल बिल बनवाना और अंग्रेजों द्वारा बनायीं गयी अन्यायपूर्ण भ्रष्ट व्यवस्था में परिवर्तन लाने की है.. हम अपनी अन्तिम साँस तक इस लड़ाई को लड़ेंगें !
जय हो !-स्वामी रामदेव
आन्दोलन से जुड़ने के लिए 02233081122 टोल फ्री नम्बर पर मिस कॉल करें एवं www.bharatswabh imantrust.org
अधिक जानकारी प्राप्त करें !
वन्दे मातरम् ,
जय गौ मातरम्
भारत माता की जय , इन्कलाब जिन्दाबाद
goldan bird bharat
कालगणना-१ : काल का खगोल से सम्बंध
इस सृष्टि की उत्पति कब हुई तथा यह सृष्टि कब तक रहेगी यह प्रश्न मानव मन को युगों से मथते रहे हैं। इनका उत्तर पाने के लिए लिए सबसे पहले काल को समझना पड़ेगा। काल जिसके द्वारा हम घटनाओं-परिवर्तन ों को नापते हैं, कबसे प्रारंभ हुआ?
इस सृष्टि की उत्पति कब हुई तथा यह सृष्टि कब तक रहेगी यह प्रश्न मानव मन को युगों से मथते रहे हैं।
आधुनिक काल के प्रख्यात ब्रह्माण्ड विज्ञानी स्टीफन हॉकिन्स ने इस पर एक पुस्तक लिखी -brief history of time (समय का संक्षिप्त इतिहास)। उस पुस्तक में वह लिखता है कि समय कब से प्रारंभ हुआ। वह लिखता है कि सृष्टि और समय एक साथ प्रारंभ हुएजब ब्रह्माण्डोत्पत ि की कारणीभूत घटना आदिद्रव्य में बिगबैंग (महाविस्फोट) हुआ और इस विस्फोट के साथ ही अव्यक्त अवस्था से ब्रह्माण्ड व्यक्त अवस्था में आने लगा। इसी के साथ समय भी उत्पन्न हुआ। अत: सृष्टि और समय एक साथ प्रारंभ हुए और समय कब तक रहेगा, तो जब तक यह सृष्टि रहेगी, तब तक रहेगा, उसके लोप के साथ लोप होगा। दूसरा प्रश्न कि सृष्टि के पूर्व क्या था? इसके उत्तर में हॉकिन्स कहता है कि वह आज अज्ञात है। पर इसे जानने का एक साधन हो सकता है। कोई तारा जब मरता है तो उसका र्इंधन प्रकाश औरऊर्जा के रूप में समाप्त होने लगता है। तब वह सिकुड़ने लगता है। और भारतवर्ष में ऋषियों ने इस पर चिंतन किया, साक्षात्कार किया। ऋग्वेद के नारदीय सूक्त में सृष्टि उत्पत्ति के पूर्व की स्थिति का वर्णन करते हुए कहा गयाकि तब न सत् था न असत् था, न परमाणुथा न आकाश, तो उस समय क्या था? तब न मृत्यु थी, न अमरत्व था, न दिन था, नरात थी। उस समय स्पंदन शक्ति युक्त वह एक तत्व था।
सृष्टि पूर्व अंधकार से अंधकार ढंका हुआ था और तप की शक्ति से युक्त एक तत्व था। सर्वप्रथम
हमारे यहां ऋषियों ने काल की परिभाषा करते हुए कहा है "कलयति सर्वाणि भूतानि", जो संपूर्ण ब्रह्माण्ड को, सृष्टि को खा जाताहै। साथ ही कहा कि यह ब्रह्माण्ड एक बार बना और नष्ट हुआ, ऐसा नहीं होता। अपितु उत्पत्ति और लय पुन: उत्पत्ति और लय यह चक्र चलता रहताहै। सृष्टि की उत्पत्ति, स्थिति, परिवर्तन और लय के रूप में विराट कालचक्र चल रहा है। काल के इस सर्वग्रासी रूप का वर्णन भारत में और पश्चिम में अनेक कवियों नेकिया है। हमारे यहां इसको व्यक्त करते हुए महाकवि क्षेमेन्द्र कहते हैं-
अहो कालसमुद्रस्य न लक्ष्यन्ते तिसंतता:।
मज्जन्तोन्तरनन् तस्य युगान्ता: पर्वता इव।।
अर्थात्-काल के महासमुद्र में कहीं संकोच जैसा अन्तराल नहीं, महाकाय पर्वतों की तरह बड़े-बड़े युग उसमें समाहित हो जाते हैं। पश्चिम में 1990 में नोबल पुरस्कार प्राप्त कवि आक्टोवियो पाज अपनी कविता Into the matter में काल के सर्वभक्षी रूप का वर्णन निम्न प्रकार से करते हैं।
A clock strikes the time
now its time
it is not time now, not it is now
now it is time to get rid of time
now it is not time
it is time and not now
time eats the now
now its time
windows close
walls closed doors close
the words gøo home
Nowwe are more alone.......... 1
अर्थात्
"काल यंत्र बताता है काल
आ गया आज, काल।
आज में काल नहीं, काल में आज नहीं,
काल को विदा देने का काल है आज।
काल है, आज नहीं,
काल निगलता है आज को।
आज है वह काल
वातायन बंद हो रहे हैं
दीवार है बंद
द्वार बन्द हो रहे हैं
वैखरी पहुंच रही है स्व निकेत
हम तो अब हैं अकेले"
इस काल को नापने का सूक्ष्मतम और महत्तम माप हमारे यहां कहा गया है।
श्रीमद्भागवत में प्रसंग आता है कि जब राजा परीक्षित महामुनि शुकदेव से पूछते हैं, काल क्या है?उसका सूक्ष्मतम और महत्तम रूप क्या है? तब इस प्रश्न का शुकदेव मुनि जो उत्तर देते हैं वह आश्चर्य जनक है, क्योंकि आज के आधुनिक युग में हम जानते हैं कि काल अमूर्त तत्व है। घटने वाली घटनाओं से हम उसे जानते हैं। आज से हजारों वर्ष पूर्व शुकदेव मुनि ने कहा- "विषयों का रूपान्तर" (बदलना) ही काल का आकार है। उसी को निमित्त बना वह काल तत्व अपने को अभिव्यक्त करता है। वह अव्यक्त से व्यक्त होता है।"
काल गणना
इस काल का सूक्ष्मतम अंश परमाणु है तथा महत्तम अंश ब्राहृ आयु है।इसको विस्तार से बताते हुए शुक मुनि उसके विभिन्न माप बताते हैं:-
2 परमाणु- 1 अणु - 15 लघु - 1 नाड़िका
3 अणु - 1 त्रसरेणु - 2 नाड़िका - 1 मुहूत्र्त
3 त्रसरेणु- 1 त्रुटि - 30 मुहूत्र्त - 1 दिन रात
100 त्रुटि- 1 वेध - 7 दिन रात - 1 सप्ताह
3 वेध - 1 लव - 2 सप्ताह - 1 पक्ष
3 लव- 1 निमेष - 2 पक्ष - 1 मास
3 निमेष- 1 क्षण - 2 मास - 1 ऋतु
5 क्षण- 1 काष्ठा - 3 ऋतु - 1 अयन
15 काष्ठा - 1 लघु - 2 अयन - 1 वर्ष
शुक मुनि की गणना से एक दिन रात में 3280500000 परमाणु काल होतेहैं तथा एक दिन रात में 86400 सेकेण्ड होते हैं। इसका अर्थ सूक्ष्मतम माप यानी 1 परमाणु काल 1 सेकंड का 37968 वां हिस्सा।
महाभारत के मोक्षपर्व में अ. 231 में कालगणना - निम्न है:-
15 निमेष - 1 काष्ठा
30 काष्ठा -1 कला
30 कला- 1 मुहूत्र्त
30 मुहूत्र्त- 1 दिन रात
दोनों गणनाओं में थोड़ा अन्तर है। शुक मुनि के हिसाब से 1 मुहूर्त में 450 काष्ठा होती है तथा महाभारत की गणना के हिसाब से 1 मुहूर्त में 900 काष्ठा होती हैं। यह गणना की भिन्न पद्धतियों को परिलक्षित करती है।
यह सामान्य गणना के लिए माप है। पर ब्रह्माण्ड की आयु के लिए, ब्रह्माण्ड में होने वाले परिवर्तनों को मापने के लिए बड़ी
कलियुग - 432000 वर्ष
2 कलियुग - द्वापरयुग - 864000 वर्ष
3 कलियुग - त्रेतायुग - 1296000 वर्ष
4 कलियुग - सतयुग - 1728000 वर्ष
चारों युगों की 1 चतुर्युगी - 4320000
71 चतुर्युगी का एक मन्वंतर - 306720000
14 मन्वंतर तथा संध्यांश के 15 सतयुग
का एक कल्प यानी - 4320000000 वर्ष
इस सृष्टि की उत्पति कब हुई तथा यह सृष्टि कब तक रहेगी यह प्रश्न मानव मन को युगों से मथते रहे हैं। इनका उत्तर पाने के लिए लिए सबसे पहले काल को समझना पड़ेगा। काल जिसके द्वारा हम घटनाओं-परिवर्तन ों को नापते हैं, कबसे प्रारंभ हुआ?
इस सृष्टि की उत्पति कब हुई तथा यह सृष्टि कब तक रहेगी यह प्रश्न मानव मन को युगों से मथते रहे हैं।
आधुनिक काल के प्रख्यात ब्रह्माण्ड विज्ञानी स्टीफन हॉकिन्स ने इस पर एक पुस्तक लिखी -brief history of time (समय का संक्षिप्त इतिहास)। उस पुस्तक में वह लिखता है कि समय कब से प्रारंभ हुआ। वह लिखता है कि सृष्टि और समय एक साथ प्रारंभ हुएजब ब्रह्माण्डोत्पत ि की कारणीभूत घटना आदिद्रव्य में बिगबैंग (महाविस्फोट) हुआ और इस विस्फोट के साथ ही अव्यक्त अवस्था से ब्रह्माण्ड व्यक्त अवस्था में आने लगा। इसी के साथ समय भी उत्पन्न हुआ। अत: सृष्टि और समय एक साथ प्रारंभ हुए और समय कब तक रहेगा, तो जब तक यह सृष्टि रहेगी, तब तक रहेगा, उसके लोप के साथ लोप होगा। दूसरा प्रश्न कि सृष्टि के पूर्व क्या था? इसके उत्तर में हॉकिन्स कहता है कि वह आज अज्ञात है। पर इसे जानने का एक साधन हो सकता है। कोई तारा जब मरता है तो उसका र्इंधन प्रकाश औरऊर्जा के रूप में समाप्त होने लगता है। तब वह सिकुड़ने लगता है। और भारतवर्ष में ऋषियों ने इस पर चिंतन किया, साक्षात्कार किया। ऋग्वेद के नारदीय सूक्त में सृष्टि उत्पत्ति के पूर्व की स्थिति का वर्णन करते हुए कहा गयाकि तब न सत् था न असत् था, न परमाणुथा न आकाश, तो उस समय क्या था? तब न मृत्यु थी, न अमरत्व था, न दिन था, नरात थी। उस समय स्पंदन शक्ति युक्त वह एक तत्व था।
सृष्टि पूर्व अंधकार से अंधकार ढंका हुआ था और तप की शक्ति से युक्त एक तत्व था। सर्वप्रथम
हमारे यहां ऋषियों ने काल की परिभाषा करते हुए कहा है "कलयति सर्वाणि भूतानि", जो संपूर्ण ब्रह्माण्ड को, सृष्टि को खा जाताहै। साथ ही कहा कि यह ब्रह्माण्ड एक बार बना और नष्ट हुआ, ऐसा नहीं होता। अपितु उत्पत्ति और लय पुन: उत्पत्ति और लय यह चक्र चलता रहताहै। सृष्टि की उत्पत्ति, स्थिति, परिवर्तन और लय के रूप में विराट कालचक्र चल रहा है। काल के इस सर्वग्रासी रूप का वर्णन भारत में और पश्चिम में अनेक कवियों नेकिया है। हमारे यहां इसको व्यक्त करते हुए महाकवि क्षेमेन्द्र कहते हैं-
अहो कालसमुद्रस्य न लक्ष्यन्ते तिसंतता:।
मज्जन्तोन्तरनन् तस्य युगान्ता: पर्वता इव।।
अर्थात्-काल के महासमुद्र में कहीं संकोच जैसा अन्तराल नहीं, महाकाय पर्वतों की तरह बड़े-बड़े युग उसमें समाहित हो जाते हैं। पश्चिम में 1990 में नोबल पुरस्कार प्राप्त कवि आक्टोवियो पाज अपनी कविता Into the matter में काल के सर्वभक्षी रूप का वर्णन निम्न प्रकार से करते हैं।
A clock strikes the time
now its time
it is not time now, not it is now
now it is time to get rid of time
now it is not time
it is time and not now
time eats the now
now its time
windows close
walls closed doors close
the words gøo home
Nowwe are more alone.......... 1
अर्थात्
"काल यंत्र बताता है काल
आ गया आज, काल।
आज में काल नहीं, काल में आज नहीं,
काल को विदा देने का काल है आज।
काल है, आज नहीं,
काल निगलता है आज को।
आज है वह काल
वातायन बंद हो रहे हैं
दीवार है बंद
द्वार बन्द हो रहे हैं
वैखरी पहुंच रही है स्व निकेत
हम तो अब हैं अकेले"
इस काल को नापने का सूक्ष्मतम और महत्तम माप हमारे यहां कहा गया है।
श्रीमद्भागवत में प्रसंग आता है कि जब राजा परीक्षित महामुनि शुकदेव से पूछते हैं, काल क्या है?उसका सूक्ष्मतम और महत्तम रूप क्या है? तब इस प्रश्न का शुकदेव मुनि जो उत्तर देते हैं वह आश्चर्य जनक है, क्योंकि आज के आधुनिक युग में हम जानते हैं कि काल अमूर्त तत्व है। घटने वाली घटनाओं से हम उसे जानते हैं। आज से हजारों वर्ष पूर्व शुकदेव मुनि ने कहा- "विषयों का रूपान्तर" (बदलना) ही काल का आकार है। उसी को निमित्त बना वह काल तत्व अपने को अभिव्यक्त करता है। वह अव्यक्त से व्यक्त होता है।"
काल गणना
इस काल का सूक्ष्मतम अंश परमाणु है तथा महत्तम अंश ब्राहृ आयु है।इसको विस्तार से बताते हुए शुक मुनि उसके विभिन्न माप बताते हैं:-
2 परमाणु- 1 अणु - 15 लघु - 1 नाड़िका
3 अणु - 1 त्रसरेणु - 2 नाड़िका - 1 मुहूत्र्त
3 त्रसरेणु- 1 त्रुटि - 30 मुहूत्र्त - 1 दिन रात
100 त्रुटि- 1 वेध - 7 दिन रात - 1 सप्ताह
3 वेध - 1 लव - 2 सप्ताह - 1 पक्ष
3 लव- 1 निमेष - 2 पक्ष - 1 मास
3 निमेष- 1 क्षण - 2 मास - 1 ऋतु
5 क्षण- 1 काष्ठा - 3 ऋतु - 1 अयन
15 काष्ठा - 1 लघु - 2 अयन - 1 वर्ष
शुक मुनि की गणना से एक दिन रात में 3280500000 परमाणु काल होतेहैं तथा एक दिन रात में 86400 सेकेण्ड होते हैं। इसका अर्थ सूक्ष्मतम माप यानी 1 परमाणु काल 1 सेकंड का 37968 वां हिस्सा।
महाभारत के मोक्षपर्व में अ. 231 में कालगणना - निम्न है:-
15 निमेष - 1 काष्ठा
30 काष्ठा -1 कला
30 कला- 1 मुहूत्र्त
30 मुहूत्र्त- 1 दिन रात
दोनों गणनाओं में थोड़ा अन्तर है। शुक मुनि के हिसाब से 1 मुहूर्त में 450 काष्ठा होती है तथा महाभारत की गणना के हिसाब से 1 मुहूर्त में 900 काष्ठा होती हैं। यह गणना की भिन्न पद्धतियों को परिलक्षित करती है।
यह सामान्य गणना के लिए माप है। पर ब्रह्माण्ड की आयु के लिए, ब्रह्माण्ड में होने वाले परिवर्तनों को मापने के लिए बड़ी
कलियुग - 432000 वर्ष
2 कलियुग - द्वापरयुग - 864000 वर्ष
3 कलियुग - त्रेतायुग - 1296000 वर्ष
4 कलियुग - सतयुग - 1728000 वर्ष
चारों युगों की 1 चतुर्युगी - 4320000
71 चतुर्युगी का एक मन्वंतर - 306720000
14 मन्वंतर तथा संध्यांश के 15 सतयुग
का एक कल्प यानी - 4320000000 वर्ष
कालगणना-१ : काल का खगोल से सम्बंध--------------- -----------
.
.
इस सृष्टि की उत्पति कब हुई तथा यह सृष्टि कब तक रहेगी यह प्रश्न मानव मन को युगों से मथते रहे हैं। इनका उत्तर पाने के लिए लिए सबसे पहले काल को समझना पड़ेगा। काल जिसके द्वारा हम घटनाओं-परिवर्तन ों को नापते हैं, कबसे प्रारंभ हुआ?
इस सृष्टि की उत्पति कब हुई तथा यह सृष्टि कब तक रहेगी यह प्रश्न मानव मन को युगों से मथते रहे हैं।
आधुनिक काल के प्रख्यात ब्रह्माण्ड विज्ञानी स्टीफन हॉकिन्स ने इस पर एक पुस्तक लिखी -brief history of time (समय का संक्षिप्त इतिहास)। उस पुस्तक में वह लिखता है कि समय कब से प्रारंभ हुआ। वह लिखता है कि सृष्टि और समय एक साथ प्रारंभ हुएजब ब्रह्माण्डोत्पत ि की कारणीभूत घटना आदिद्रव्य में बिगबैंग (महाविस्फोट) हुआ और इस विस्फोट के साथ ही अव्यक्त अवस्था से ब्रह्माण्ड व्यक्त अवस्था में आने लगा। इसी के साथ समय भी उत्पन्न हुआ। अत: सृष्टि और समय एक साथ प्रारंभ हुए और समय कब तक रहेगा, तो जब तक यह सृष्टि रहेगी, तब तक रहेगा, उसके लोप के साथ लोप होगा। दूसरा प्रश्न कि सृष्टि के पूर्व क्या था? इसके उत्तर में हॉकिन्स कहता है कि वह आज अज्ञात है। पर इसे जानने का एक साधन हो सकता है। कोई तारा जब मरता है तो उसका र्इंधन प्रकाश औरऊर्जा के रूप में समाप्त होने लगता है। तब वह सिकुड़ने लगता है। और भारतवर्ष में ऋषियों ने इस पर चिंतन किया, साक्षात्कार किया। ऋग्वेद के नारदीय सूक्त में सृष्टि उत्पत्ति के पूर्व की स्थिति का वर्णन करते हुए कहा गयाकि तब न सत् था न असत् था, न परमाणुथा न आकाश, तो उस समय क्या था? तब न मृत्यु थी, न अमरत्व था, न दिन था, नरात थी। उस समय स्पंदन शक्ति युक्त वह एक तत्व था।
सृष्टि पूर्व अंधकार से अंधकार ढंका हुआ था और तप की शक्ति से युक्त एक तत्व था। सर्वप्रथम
हमारे यहां ऋषियों ने काल की परिभाषा करते हुए कहा है "कलयति सर्वाणि भूतानि", जो संपूर्ण ब्रह्माण्ड को, सृष्टि को खा जाताहै। साथ ही कहा कि यह ब्रह्माण्ड एक बार बना और नष्ट हुआ, ऐसा नहीं होता। अपितु उत्पत्ति और लय पुन: उत्पत्ति और लय यह चक्र चलता रहताहै। सृष्टि की उत्पत्ति, स्थिति, परिवर्तन और लय के रूप में विराट कालचक्र चल रहा है। काल के इस सर्वग्रासी रूप का वर्णन भारत में और पश्चिम में अनेक कवियों नेकिया है। हमारे यहां इसको व्यक्त करते हुए महाकवि क्षेमेन्द्र कहते हैं-
अहो कालसमुद्रस्य न लक्ष्यन्ते तिसंतता:।
मज्जन्तोन्तरनन् तस्य युगान्ता: पर्वता इव।।
अर्थात्-काल के महासमुद्र में कहीं संकोच जैसा अन्तराल नहीं, महाकाय पर्वतों की तरह बड़े-बड़े युग उसमें समाहित हो जाते हैं। पश्चिम में 1990 में नोबल पुरस्कार प्राप्त कवि आक्टोवियो पाज अपनी कविता Into the matter में काल के सर्वभक्षी रूप का वर्णन निम्न प्रकार से करते हैं।
A clock strikes the time
now its time
it is not time now, not it is now
now it is time to get rid of time
now it is not time
it is time and not now
time eats the now
now its time
windows close
walls closed doors close
the words gøo home
Nowwe are more alone.......... 1
अर्थात्
"काल यंत्र बताता है काल
आ गया आज, काल।
आज में काल नहीं, काल में आज नहीं,
काल को विदा देने का काल है आज।
काल है, आज नहीं,
काल निगलता है आज को।
आज है वह काल
वातायन बंद हो रहे हैं
दीवार है बंद
द्वार बन्द हो रहे हैं
वैखरी पहुंच रही है स्व निकेत
हम तो अब हैं अकेले"
इस काल को नापने का सूक्ष्मतम और महत्तम माप हमारे यहां कहा गया है।
श्रीमद्भागवत में प्रसंग आता है कि जब राजा परीक्षित महामुनि शुकदेव से पूछते हैं, काल क्या है?उसका सूक्ष्मतम और महत्तम रूप क्या है? तब इस प्रश्न का शुकदेव मुनि जो उत्तर देते हैं वह आश्चर्य जनक है, क्योंकि आज के आधुनिक युग में हम जानते हैं कि काल अमूर्त तत्व है। घटने वाली घटनाओं से हम उसे जानते हैं। आज से हजारों वर्ष पूर्व शुकदेव मुनि ने कहा- "विषयों का रूपान्तर" (बदलना) ही काल का आकार है। उसी को निमित्त बना वह काल तत्व अपने को अभिव्यक्त करता है। वह अव्यक्त से व्यक्त होता है।"
काल गणना
इस काल का सूक्ष्मतम अंश परमाणु है तथा महत्तम अंश ब्राहृ आयु है।इसको विस्तार से बताते हुए शुक मुनि उसके विभिन्न माप बताते हैं:-
2 परमाणु- 1 अणु - 15 लघु - 1 नाड़िका
3 अणु - 1 त्रसरेणु - 2 नाड़िका - 1 मुहूत्र्त
3 त्रसरेणु- 1 त्रुटि - 30 मुहूत्र्त - 1 दिन रात
100 त्रुटि- 1 वेध - 7 दिन रात - 1 सप्ताह
3 वेध - 1 लव - 2 सप्ताह - 1 पक्ष
3 लव- 1 निमेष - 2 पक्ष - 1 मास
3 निमेष- 1 क्षण - 2 मास - 1 ऋतु
5 क्षण- 1 काष्ठा - 3 ऋतु - 1 अयन
15 काष्ठा - 1 लघु - 2 अयन - 1 वर्ष
शुक मुनि की गणना से एक दिन रात में 3280500000 परमाणु काल होतेहैं तथा एक दिन रात में 86400 सेकेण्ड होते हैं। इसका अर्थ सूक्ष्मतम माप यानी 1 परमाणु काल 1 सेकंड का 37968 वां हिस्सा।
महाभारत के मोक्षपर्व में अ. 231 में कालगणना - निम्न है:-
15 निमेष - 1 काष्ठा
30 काष्ठा -1 कला
30 कला- 1 मुहूत्र्त
30 मुहूत्र्त- 1 दिन रात
दोनों गणनाओं में थोड़ा अन्तर है। शुक मुनि के हिसाब से 1 मुहूर्त में 450 काष्ठा होती है तथा महाभारत की गणना के हिसाब से 1 मुहूर्त में 900 काष्ठा होती हैं। यह गणना की भिन्न पद्धतियों को परिलक्षित करती है।
यह सामान्य गणना के लिए माप है। पर ब्रह्माण्ड की आयु के लिए, ब्रह्माण्ड में होने वाले परिवर्तनों को मापने के लिए बड़ी
कलियुग - 432000 वर्ष
2 कलियुग - द्वापरयुग - 864000 वर्ष
3 कलियुग - त्रेतायुग - 1296000 वर्ष
4 कलियुग - सतयुग - 1728000 वर्ष
चारों युगों की 1 चतुर्युगी - 4320000
71 चतुर्युगी का एक मन्वंतर - 306720000
14 मन्वंतर तथा संध्यांश के 15 सतयुग
का एक कल्प यानी - 4320000000 वर्ष
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इस सृष्टि की उत्पति कब हुई तथा यह सृष्टि कब तक रहेगी यह प्रश्न मानव मन को युगों से मथते रहे हैं। इनका उत्तर पाने के लिए लिए सबसे पहले काल को समझना पड़ेगा। काल जिसके द्वारा हम घटनाओं-परिवर्तन ों को नापते हैं, कबसे प्रारंभ हुआ?
इस सृष्टि की उत्पति कब हुई तथा यह सृष्टि कब तक रहेगी यह प्रश्न मानव मन को युगों से मथते रहे हैं।
आधुनिक काल के प्रख्यात ब्रह्माण्ड विज्ञानी स्टीफन हॉकिन्स ने इस पर एक पुस्तक लिखी -brief history of time (समय का संक्षिप्त इतिहास)। उस पुस्तक में वह लिखता है कि समय कब से प्रारंभ हुआ। वह लिखता है कि सृष्टि और समय एक साथ प्रारंभ हुएजब ब्रह्माण्डोत्पत ि की कारणीभूत घटना आदिद्रव्य में बिगबैंग (महाविस्फोट) हुआ और इस विस्फोट के साथ ही अव्यक्त अवस्था से ब्रह्माण्ड व्यक्त अवस्था में आने लगा। इसी के साथ समय भी उत्पन्न हुआ। अत: सृष्टि और समय एक साथ प्रारंभ हुए और समय कब तक रहेगा, तो जब तक यह सृष्टि रहेगी, तब तक रहेगा, उसके लोप के साथ लोप होगा। दूसरा प्रश्न कि सृष्टि के पूर्व क्या था? इसके उत्तर में हॉकिन्स कहता है कि वह आज अज्ञात है। पर इसे जानने का एक साधन हो सकता है। कोई तारा जब मरता है तो उसका र्इंधन प्रकाश औरऊर्जा के रूप में समाप्त होने लगता है। तब वह सिकुड़ने लगता है। और भारतवर्ष में ऋषियों ने इस पर चिंतन किया, साक्षात्कार किया। ऋग्वेद के नारदीय सूक्त में सृष्टि उत्पत्ति के पूर्व की स्थिति का वर्णन करते हुए कहा गयाकि तब न सत् था न असत् था, न परमाणुथा न आकाश, तो उस समय क्या था? तब न मृत्यु थी, न अमरत्व था, न दिन था, नरात थी। उस समय स्पंदन शक्ति युक्त वह एक तत्व था।
सृष्टि पूर्व अंधकार से अंधकार ढंका हुआ था और तप की शक्ति से युक्त एक तत्व था। सर्वप्रथम
हमारे यहां ऋषियों ने काल की परिभाषा करते हुए कहा है "कलयति सर्वाणि भूतानि", जो संपूर्ण ब्रह्माण्ड को, सृष्टि को खा जाताहै। साथ ही कहा कि यह ब्रह्माण्ड एक बार बना और नष्ट हुआ, ऐसा नहीं होता। अपितु उत्पत्ति और लय पुन: उत्पत्ति और लय यह चक्र चलता रहताहै। सृष्टि की उत्पत्ति, स्थिति, परिवर्तन और लय के रूप में विराट कालचक्र चल रहा है। काल के इस सर्वग्रासी रूप का वर्णन भारत में और पश्चिम में अनेक कवियों नेकिया है। हमारे यहां इसको व्यक्त करते हुए महाकवि क्षेमेन्द्र कहते हैं-
अहो कालसमुद्रस्य न लक्ष्यन्ते तिसंतता:।
मज्जन्तोन्तरनन् तस्य युगान्ता: पर्वता इव।।
अर्थात्-काल के महासमुद्र में कहीं संकोच जैसा अन्तराल नहीं, महाकाय पर्वतों की तरह बड़े-बड़े युग उसमें समाहित हो जाते हैं। पश्चिम में 1990 में नोबल पुरस्कार प्राप्त कवि आक्टोवियो पाज अपनी कविता Into the matter में काल के सर्वभक्षी रूप का वर्णन निम्न प्रकार से करते हैं।
A clock strikes the time
now its time
it is not time now, not it is now
now it is time to get rid of time
now it is not time
it is time and not now
time eats the now
now its time
windows close
walls closed doors close
the words gøo home
Nowwe are more alone.......... 1
अर्थात्
"काल यंत्र बताता है काल
आ गया आज, काल।
आज में काल नहीं, काल में आज नहीं,
काल को विदा देने का काल है आज।
काल है, आज नहीं,
काल निगलता है आज को।
आज है वह काल
वातायन बंद हो रहे हैं
दीवार है बंद
द्वार बन्द हो रहे हैं
वैखरी पहुंच रही है स्व निकेत
हम तो अब हैं अकेले"
इस काल को नापने का सूक्ष्मतम और महत्तम माप हमारे यहां कहा गया है।
श्रीमद्भागवत में प्रसंग आता है कि जब राजा परीक्षित महामुनि शुकदेव से पूछते हैं, काल क्या है?उसका सूक्ष्मतम और महत्तम रूप क्या है? तब इस प्रश्न का शुकदेव मुनि जो उत्तर देते हैं वह आश्चर्य जनक है, क्योंकि आज के आधुनिक युग में हम जानते हैं कि काल अमूर्त तत्व है। घटने वाली घटनाओं से हम उसे जानते हैं। आज से हजारों वर्ष पूर्व शुकदेव मुनि ने कहा- "विषयों का रूपान्तर" (बदलना) ही काल का आकार है। उसी को निमित्त बना वह काल तत्व अपने को अभिव्यक्त करता है। वह अव्यक्त से व्यक्त होता है।"
काल गणना
इस काल का सूक्ष्मतम अंश परमाणु है तथा महत्तम अंश ब्राहृ आयु है।इसको विस्तार से बताते हुए शुक मुनि उसके विभिन्न माप बताते हैं:-
2 परमाणु- 1 अणु - 15 लघु - 1 नाड़िका
3 अणु - 1 त्रसरेणु - 2 नाड़िका - 1 मुहूत्र्त
3 त्रसरेणु- 1 त्रुटि - 30 मुहूत्र्त - 1 दिन रात
100 त्रुटि- 1 वेध - 7 दिन रात - 1 सप्ताह
3 वेध - 1 लव - 2 सप्ताह - 1 पक्ष
3 लव- 1 निमेष - 2 पक्ष - 1 मास
3 निमेष- 1 क्षण - 2 मास - 1 ऋतु
5 क्षण- 1 काष्ठा - 3 ऋतु - 1 अयन
15 काष्ठा - 1 लघु - 2 अयन - 1 वर्ष
शुक मुनि की गणना से एक दिन रात में 3280500000 परमाणु काल होतेहैं तथा एक दिन रात में 86400 सेकेण्ड होते हैं। इसका अर्थ सूक्ष्मतम माप यानी 1 परमाणु काल 1 सेकंड का 37968 वां हिस्सा।
महाभारत के मोक्षपर्व में अ. 231 में कालगणना - निम्न है:-
15 निमेष - 1 काष्ठा
30 काष्ठा -1 कला
30 कला- 1 मुहूत्र्त
30 मुहूत्र्त- 1 दिन रात
दोनों गणनाओं में थोड़ा अन्तर है। शुक मुनि के हिसाब से 1 मुहूर्त में 450 काष्ठा होती है तथा महाभारत की गणना के हिसाब से 1 मुहूर्त में 900 काष्ठा होती हैं। यह गणना की भिन्न पद्धतियों को परिलक्षित करती है।
यह सामान्य गणना के लिए माप है। पर ब्रह्माण्ड की आयु के लिए, ब्रह्माण्ड में होने वाले परिवर्तनों को मापने के लिए बड़ी
कलियुग - 432000 वर्ष
2 कलियुग - द्वापरयुग - 864000 वर्ष
3 कलियुग - त्रेतायुग - 1296000 वर्ष
4 कलियुग - सतयुग - 1728000 वर्ष
चारों युगों की 1 चतुर्युगी - 4320000
71 चतुर्युगी का एक मन्वंतर - 306720000
14 मन्वंतर तथा संध्यांश के 15 सतयुग
का एक कल्प यानी - 4320000000 वर्ष
Friday, July 20, 2012
Thursday, July 12, 2012
जल की छोटी-छोटी बूंदें भी जब लगातार प्रहार करती हैं, तो बड़ी से बड़ी चट्टान को भेदकर रख देती हैं… =============== हम फ़ेसबुक पर इसी भावना और लगन के साथ काम करते हैं…
जल की छोटी-छोटी बूंदें भी जब लगातार प्रहार करती हैं, तो बड़ी से बड़ी चट्टान को भेदकर रख देती हैं…
===============
हम फ़ेसबुक पर इसी भावना और लगन के साथ काम करते हैं…
Sunday, July 8, 2012
श्री रामायण कल्पना नही जीवन की सच्चाई है दुनिया की सबसे पुरानी सनातन संस्कृति पर अक्सर आरोप लगते है कि वह केवल कल्पना है. लेकिन पिछले कुछ सालों में हुए साइंटिफिक खुलासों ने साबित कर दिया है कि परभु श्री राम कोई कल्पना नही बल्कि एक मीठी सच्चाई है. वैगयानिकों ने रामायण काल की असली तारीख निकालने के बाल्मिकी रामायण का सहारा लिया और साबित करदिया कि भगवान श्री ने बुआियों काख़ात्मा करने के लिए इस धरती पर अवतार लिया था. बाल्मिकी रामायण श्री राम के सिंहासन पर बैठने के बाद लिखी गई. इस कथा को लिखने वालेमहर्षि बाल्मिकी एक महान खगोलविदथे. उन्होने अपनी कथा में राशि, ग्रह और नक्षत्रों की स्थितियों का वर्णन किया था. प्लेनेटरीयम सॉफ़्टवेर की मदद से वैगयानिकों ने उन खगोलीय स्थितियों के आँकड़ों को कंप्यूटर में डाला तो धीरे धीरे श्री रामायण युग की वास्तविक तारीखों का रहस्य उजागरहोता चला गया. इस सॉफ्टवेर के ज़रिए सबसे पहले श्री राम के जानमकी वास्तविक तारीख पता की गयी. बाल्मिकी रामायण के अनुसार श्री राम का जन्म चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की नवमी हुआ था. उस समय सूर्या, मंगल, गुरु, शुक्र, शनि ये पाँच ग्रह उच्च पक्ष में विधमान थे. चैत्र माह में शुक्ल पक्ष नवमी के दोपहर 12 बजे का समय था. जबइन स्थितियों को कंप्यूटर में डाला गया तो वह 10 जनवरी 5114 ईसा पूर्व निकली. इसी प्रकार श्रीराम के वनवास की तारीख 5 जनवरी 5089 ईसा पूर्व निकली.. 14 साल के वनवास को जाते समय श्री राम की आयु 25 वर्ष थी. श्री राम ने वनवासके 13वें साल में खर- दुषण का वध किया. उनके वध की तारीख 5 अक्तूबर 5077 ईसा पूर्व रही है. उस दिन सूर्य ग्रहण हुआ था और रात को अमावस्या थी. प्लेनेतेरियमसॉफ़्टवेयर के अनुसार हनुमान जी 14 सितंबर 5076 ईसा पूर्व को सवेरे साढ़े 6 बजे लंका दहन करके श्री राम के पास वापस पहुँचे थे. श्री राम रावण का वध करके 2 जनवरी 5076 ईसापूर्व को वापस अयोध्या पहुँचे. उससमय उनकी उम्र 39 वर्ष हो चुकी थी.बाल्मिकी रामायण के अनुसार रमेश्वरम से श्रीलंका तक समुद्र के ऊपर पुल बनाया. नासा समेत अन्य स्पेस एजेंसियाँ अपने सेटेलीट फोटॉन के ज़रिए श्री राम सेतु के होने की पुष्टि कर चुकी हैं. जय श्री राम जय श्री सनातन संस्कृति
Wednesday, June 13, 2012
औरंजेब के क्रूरता ने हिन्दुओ पे सितम ढाये थे जनेऊ तुड्वाकर तिलक मिटाकर जप तप बंद कराये थे जब चलते यज्ञों की बेदी पर गोमांसबिखेरा जाता था ऋषियों के उर मे डाल तलवारे ,हाड़ उखेरा जाता था ये थी हिंसा की चरम सीमाए ,क्या इन्हे मिटाने आए हो ? तुम लेकर अहिंसा का झण्डा , मेरा खून जलाने आए हो बाबर की अतिबर्बर बर्बरता ने, लाशों के ढेर बिछाये थे मेरे मोहन ओ श्याम के मंदिर पर खून के धब्बे लगाए थे तोड़ मेरे प्रभु राम का मंदिर,बाबरी के पाप सजाये थे लाल रक्त के अमिट धब्बो को कीचड़ से मिटाने आए हो तुम लेकर अहिंसा का झण्डा , मेरा खून जलाने आए हो तथाकथित आजादी का वो पहला सूरज निकला था ....... हु अकबर अकबर चिल्लाता दानवो का एक काफिला था बाजारो मे हिन्दू देवीया नंगी दौड़ाई जाती थी वो अबला ,मासूम व्यथित हो राम राम चिल्लाती थी उन्हे देख अहिंसा रोयी थी ,हिंसा ने भी आँसू बहाये थे इतने पर भी उन असुरो ने गुप्तांगों मे भाले घुसाए थे वो चीख रही थी , तड़प रही थी ,बिलख रही थी एक ओर एक ओर पिब रहा दूध बकरी का , था चरखो का हल्का शोर झटपटा रही थी, पड़ी धरा पर ,थे ऊपर पर हवसी सवार एक ओर गीत गा गाकर के बांट रहा था दुश्मन को प्यार उनके करुण रुन्दन के गुंजन की आवाज दबाने आए हो तुम लेकर अहिंसा का झण्डा , मेरा खून जलाने आए हो मेरे हजारो मंदिर टूटे है, लुटा है लाखो माँ बहनो का शील करोड़ो भाइयो की रक्त धारा से बनीहै नफरत की ये झील मेरे गोमाता काट काट प्लेटो मे सजाई जाती है खोलते पानी मे डाल बछड़ो को खाल उतारी जाती है वो प्रभु राम को गाली देत है,घनश्याम को गाली देते हे तुम बनके अहिंसा के उपासक इन पापोको छिपाने आए हो तुम लेके अहिंसा का झण्डा , बस खूनजलाने आए हो तुम भूल सको तो भूल जाओ , उन बिखरी लाशों के ढेरो को लूटे माताओ के शीलों को , दिये जख्मो के घेरो को हा भूल जाओ तुम टूटे मंदिरो की उन आह भरती नीवों को तुम भूल ही जाओ तो अच्छा ,गोमाता की अव्यक्तित चीखो को तुम जब महान गोडसे को इस मुख से हत्यारा बताते हो - तब ऊपर लिखे इन जुल्मो को क्यो कैसे भूल जाते हो ? राम बोलने वाले गोपुजकों को तुम साम्र्प्दयिक बताते हो बारूद बिछाने वालो को भाई कह अहिंसा का ढोंग दिखाते हो तुम झूठी अहिंसा के खून से धर्म पर कलंक लगाने आए हो तुम लेकर अहिंसा का झण्डा मेरा खून जलाने आए हो......jai Mahakal!!!
बीजेपी के राष्ट्रीय कार्यकारणी के सदस्य और जाने माने वकील कश्मीरी पंडित तिलक लाल तप्लू का JKLF ने क़त्ल कर दिया। उसके बाद जस्टिस नील कान्त गंजू को गोली मार दिया गया। सारे कश्मीरी नेताओ की हत्या एक एक करके कर दी गयी। उसके बाद 300 से ज्यादा हिन्दू महिलाओ और पुरुषो की निर्संश हत्या की गयी। कश्मीरी पंडित नर्स जो श्रीनगर के सौर मेडिकल कॉलेज अस्पताल में काम करती थी, का सामूहिक बलात्कार किया गया और मार मार कर उसकी हत्या कर दी गयी। यह खुनी खेल चलता रहा और अपने सेकुलर राज्य औरकेंद्र सरकार, मीडिया ने कुछ भी नहीं किया। पार्ट ४: जनवरी 4, 1990 ~~~~~~~~~~~~~~ आफताब, एक स्थानीय उर्दू अखबार नेहिज्ब -उल -मुजाहिदीन की तरफ से एकप्रेस विज्ञप्ति जारी की, सभी हिन्दू अपना सामन पैक करें और कश्मीर छोड़ कर चले जाएँ। एक अन्यस्थानीय समाचार पत्र, अल सफा ने इस निष्कासन आदेश को दोहराया। मस्जिदों में भारत और हिन्दू विरोधी भाषण दिए जाने लगे। सभी कश्मीरी हिन्दू/ मुस्लिमो को कहा गया की इस्लामिक ड्रेस कोड अपनाये। सिनेमा और विडियो पार्लरवगैरह बंद कर दिए गए। लोगो को मजबूर किया गया की वो अपनी घड़ी पाकिस्तान के समय के अनुसार करे लें। अधिक जानकारी के लिए यह लिंक और ब्लॉग आप देख सकते है: http:// kasmiripandits.b logspot.com/ 2012/04/ when-kashmiri-pa ndits-fled-isla mic.html http:// www.rediff.com/ news/2005/jan/ 19kanch.htm - [19/01/90: When Kashmiri Pandits fled Islamic terror] पार्ट 5: जनवरी 19, 1990 ~~~~~~~~~~~~~~~ ~~~~~~~ सारे कश्मीरी पंडितो के घर के दरवाजो पर नोट लगा दिया जिसमे लिखा था "या तो मुस्लिम बन जाओ या कश्मीर छोड़ कर भाग जाओ या फिर मरने के लिए तैयार हो जाओ"। पाकिस्तान की तत्कालीन प्रधानमंत्री बेनजीर भुट्टो ने टीवी पर कश्मीरी मुस्लिमो को भारत से आजादी के लिए भड़काना शुरू कर दिया। सारे कश्मीर के मस्जिदों में एक टेप चलाया गया। जिसमे मुस्लिमो को कहा गया की वो हिन्दुओ को कश्मीर से निकाल बाहर करें। उसके बाद सारे कश्मीरी मुस्लिम सडको पर उतर आये। उन्होंने कश्मीरी पंडितो के घरो को जला दिया, कश्मीर पंडित महिलाओका बलात्कार करके, फिर उनकी हत्याकरके उनके नग्न शरीर को पेड़ पर लटका दिया गया। कुछ महिलाओ को जिन्दा जला दिया गया और बाकियों को लोहे के गरम सलाखों से मार दिया गया। बच्चो को स्टील के तार से गला घोटकर मार दिया गया। कश्मीरी महिलाये ऊंचे मकानों की छतो से कूद कूद कर जान देने लगी। कश्मीरी मुस्लिम, कश्मीरी हिन्दुओ के हत्या करते चले गए और नारा लगते चले गए की उन पर अत्याचार हुआ है और उनको भारत से आजादी चाहिए। पार्ट 6: कश्मीरी पंडितो का पलायन ~~~~~~~~~~~~~~~ ~~~~~~~ 3,50,000 कश्मीरी पंडित अपनी जान बचा कर कश्मीर से भाग गए। कश्मीरीपंडित जो कश्मीर के मूल निवासी हैउन्हें कश्मीर छोड़ना पड़ा और तब कश्मीरी मुस्लिम कहते है की उन्हें आजादी चाहिए। यह सब कुछ चलता रहा
Saturday, June 2, 2012
क्या आप जानते हैं कि.... शिया और सुन्नी मुसलमान कौन होते हैं....?????
दरअसल... जब इस्लाम का प्रादुर्भाव हुआ... उस समय दुनिया में अन्य सभी धर्म ... (जैसे कि हिन्दू धर्म, बौद्ध धर्म, ईसाई एवं यहूदी ) पूर्णतः स्थापित हो चुके थे..... जिस कारण इस्लाम के प्रतिपादक मुहम्मद साहब को इस्लाम जैसे फर्जी धर्म को बढ़ाना एक टेढ़ी खीर लगा....!
इसीलिए, मुहम्मद साहब ने अपने पेशे के अनुरूप एक फरमान जारी कर दिया कि... .......... जो कोई भी इस्लाम स्वीकार नहीं करेगा..... उसे मार दिया जाएगा और उनके घर की महिलाओं से बलात्कार कर..... उसकी सारी धन-दौलत लूट ली जाएगी..... लेकिन अगर ... जो कोई भी इस्लाम स्वेच्छा से स्वीकार कर लेगा उसे ढेर सारी धन-दौलत के साथ-साथ गिरोह में भी अच्छा पद भी दे दिया जाएगा..!
मुहम्मद साहब के इस फरमान को सुनते ही आस-पास के सारे कबीलों में हडकंप मच गया....... क्योंकि लोगों को मुहम्मद साहब और उनके गिरोह के बारे में भली-भांति मालूम था कि.... वे निश्चय ही वैसा कर सकते हैं...!
इस तरह.... जिन हिन्दुओं और ईसाईयों को मुहम्मद साहब के इस फरमान को सुनकर डर से ही पैंट में पेशाब हो गया.... और, उन्होंने अपनी तथा अपने परिवार की जान बचाने और धन-सम्पदा के लालच के लिए.... सिर्फ फरमान सुनकर ही मुसलमान बन गए.. वे सुन्नी (सुनकर बना हुआ मुस्लिम) मुसलमान कहलाये...!
परन्तु..... कुछ लोग फरमान सुनकर मुसलमान तो नहीं बने.... लेकिन, सियार की तरह डर कर इधर-उधर छुप गए... और, बाद में लालच में आकर इस्लाम कबूल लिया.... जिसे शिया (सियार की तरह बने मुस्लिम) मुसलमान कहा जाता है..!
इस तरह इस्लाम में प्रारंभ से ही दो धडें मौजूद थी.... लेकिन मुहम्मद साहब का आतंक इतना था कि... लोग खुल कर कुछ नहीं बोल पाते थे....!
परन्तु... पिगम्बर मुहम्मद साहब की मृत्यु (लगभग CE 632 ) के बाद इन दोनों धडों का मतभेद खुल कर सामने आ गया... जब 8 जून 632 ... को मदीना में इस्लाम के उत्तराधिकारी खलीफा का चुनाव हो रहा था..!
चूँकि.. सुन्नी मुसलमान पहले से मुहम्मद साहब या यूँ कहें की इस्लाम से जुड़े थे .. इसीलिए उन्होंने स्वभावतः मुहम्मद साहब के उत्तराधिकारी के तौर पर मुहम्मद साहब के सबसे करीबी अबू बकर को खलीफा स्वीकार किया .
जबकि.... शिया मुसलमानों ने अबुबकर को खलीफा मानने से इंकार कर दिया और उन्होंने अली इब्न अबी तालिब ( जो कि मुहम्मद साहब का चचेरा भाई और साथ में दामाद भी था {उन्होंने अपनी भतीजी से शादी की थी} [चकराएं नहीं.... अली साहब ने तो भतीजी तक भी सोचा... लेकिन, मुहम्मद साहब ने तो मौका पाकर अपनी सगी बेटी फातिमा पर ही हाथ साफ कर लिया था ])
इस तरह ... मुहम्मद साहब की मृत्यु के बाद मुस्लिम खुले रूप से ""शिया और सुन्नी"" नामक दो धड़े में बँट गए...और उनमे वर्चस्व की लड़ाई प्रारंभ हो गयी..!
आज दुनिया में लगभग 90% आबादी सुन्नी मुस्लिमों की है...!
जय महाकाल...!!!
disclaimer : ये लेख विशुद्ध रूप से वैज्ञानिक तथ्यों पर आधारित है... इसीलिए, कृपया बिना परफेक्ट सबूत के कोई भी सज्जन अथवा दुर्जन अपना भोंपू ना बजाएँ...!
" सेकुलर " एक शब्द जो भारत में अब धर्म बन गया है आज सेकुलरता का अर्थ हिन्दुओं को गाली देना , हिन्दू देवी देवताओं को भला बुरा कहना और अपने इसाई या मुस्लिम तथाकथित मित्र को खुश करने के लिए चर्च और मस्जिद में जाना है | स्मरण रहे ,यदि तुम पाश्चात्य भोतिकतावाद संस्कृति के चक्कर में पद कर आध्यात्मिकता का आधार त्याग दोगे तो उसका परिणाम होगा की तीन पीढ़ियों में तुम्हारा जातीय अस्तित्व मिट जाएगा क्योकि राष्ट्र का मेरुदंड टूट जाएगा , राष्ट्रीय भवन की नीव ही खिसक जायेगी | इस सबका परिणाम होगा सर्वतोमुखी सत्यानाश | _____________________ स्वामी विवेकानंद मुहम्मद अली जिन्ना से एक बार किसी ने पूछा पकिस्तान का पहला बीज कब बोया गया ? तब जिन्ना ने उत्तर दिया :- जब हिन्दुस्तान के पहले हिन्दू को मुसलमान बनाया गया था || हमीद दलवाई ने अपनी पुस्तक MUSLIM POLITICS IN SECULAR INDIA में लिखा है -- मुसलमान , जो उन पर अत्याचार हो रहा है ऐसा नारा लगते है उनमे से बहुतों से मिला की आप पर कौन सा अत्याचार होता है ? चूँकि हामिद दलवाई मुसलमान था अतः स्पष्ट रूप से बताया की हिन्दुओं का बहुसंख्यक होना ही मुसलमानों पर , इस्लाम पर सबसे बड़ा अत्याचार है जिसके कारण देश का एक बड़ा हिस्सा मुस्लिम राष्ट्र नहीं बन सका | जब तक हिन्दू समाज बहुसंख्यक रहेगा तब तक हम इस देश को मुस्लिम राष्ट्र नहीं बना सकते यही हम पर इस्लाम पर सबसे बड़ा अत्याचार है || _______________ हमीद दलवाई , MUSLIM POLITICS IN SECULAR INDIA जागो नहीं तो हमेशा के लिए सोना पड़ जाएगा , इस सेकुलरता का परिणाम कितना घातक हो सकता है इसका अंदाज़ा लगाना मुश्किल नहीं है क्योकि परिणाम सबके सामने है || जय जय सियाराम ,, जय जय माँ भारती
दरअसल... जब इस्लाम का प्रादुर्भाव हुआ... उस समय दुनिया में अन्य सभी धर्म ... (जैसे कि हिन्दू धर्म, बौद्ध धर्म, ईसाई एवं यहूदी ) पूर्णतः स्थापित हो चुके थे..... जिस कारण इस्लाम के प्रतिपादक मुहम्मद साहब को इस्लाम जैसे फर्जी धर्म को बढ़ाना एक टेढ़ी खीर लगा....!
इसीलिए, मुहम्मद साहब ने अपने पेशे के अनुरूप एक फरमान जारी कर दिया कि... .......... जो कोई भी इस्लाम स्वीकार नहीं करेगा..... उसे मार दिया जाएगा और उनके घर की महिलाओं से बलात्कार कर..... उसकी सारी धन-दौलत लूट ली जाएगी..... लेकिन अगर ... जो कोई भी इस्लाम स्वेच्छा से स्वीकार कर लेगा उसे ढेर सारी धन-दौलत के साथ-साथ गिरोह में भी अच्छा पद भी दे दिया जाएगा..!
मुहम्मद साहब के इस फरमान को सुनते ही आस-पास के सारे कबीलों में हडकंप मच गया....... क्योंकि लोगों को मुहम्मद साहब और उनके गिरोह के बारे में भली-भांति मालूम था कि.... वे निश्चय ही वैसा कर सकते हैं...!
इस तरह.... जिन हिन्दुओं और ईसाईयों को मुहम्मद साहब के इस फरमान को सुनकर डर से ही पैंट में पेशाब हो गया.... और, उन्होंने अपनी तथा अपने परिवार की जान बचाने और धन-सम्पदा के लालच के लिए.... सिर्फ फरमान सुनकर ही मुसलमान बन गए.. वे सुन्नी (सुनकर बना हुआ मुस्लिम) मुसलमान कहलाये...!
परन्तु..... कुछ लोग फरमान सुनकर मुसलमान तो नहीं बने.... लेकिन, सियार की तरह डर कर इधर-उधर छुप गए... और, बाद में लालच में आकर इस्लाम कबूल लिया.... जिसे शिया (सियार की तरह बने मुस्लिम) मुसलमान कहा जाता है..!
इस तरह इस्लाम में प्रारंभ से ही दो धडें मौजूद थी.... लेकिन मुहम्मद साहब का आतंक इतना था कि... लोग खुल कर कुछ नहीं बोल पाते थे....!
परन्तु... पिगम्बर मुहम्मद साहब की मृत्यु (लगभग CE 632 ) के बाद इन दोनों धडों का मतभेद खुल कर सामने आ गया... जब 8 जून 632 ... को मदीना में इस्लाम के उत्तराधिकारी खलीफा का चुनाव हो रहा था..!
चूँकि.. सुन्नी मुसलमान पहले से मुहम्मद साहब या यूँ कहें की इस्लाम से जुड़े थे .. इसीलिए उन्होंने स्वभावतः मुहम्मद साहब के उत्तराधिकारी के तौर पर मुहम्मद साहब के सबसे करीबी अबू बकर को खलीफा स्वीकार किया .
जबकि.... शिया मुसलमानों ने अबुबकर को खलीफा मानने से इंकार कर दिया और उन्होंने अली इब्न अबी तालिब ( जो कि मुहम्मद साहब का चचेरा भाई और साथ में दामाद भी था {उन्होंने अपनी भतीजी से शादी की थी} [चकराएं नहीं.... अली साहब ने तो भतीजी तक भी सोचा... लेकिन, मुहम्मद साहब ने तो मौका पाकर अपनी सगी बेटी फातिमा पर ही हाथ साफ कर लिया था ])
इस तरह ... मुहम्मद साहब की मृत्यु के बाद मुस्लिम खुले रूप से ""शिया और सुन्नी"" नामक दो धड़े में बँट गए...और उनमे वर्चस्व की लड़ाई प्रारंभ हो गयी..!
आज दुनिया में लगभग 90% आबादी सुन्नी मुस्लिमों की है...!
जय महाकाल...!!!
disclaimer : ये लेख विशुद्ध रूप से वैज्ञानिक तथ्यों पर आधारित है... इसीलिए, कृपया बिना परफेक्ट सबूत के कोई भी सज्जन अथवा दुर्जन अपना भोंपू ना बजाएँ...!
" सेकुलर " एक शब्द जो भारत में अब धर्म बन गया है आज सेकुलरता का अर्थ हिन्दुओं को गाली देना , हिन्दू देवी देवताओं को भला बुरा कहना और अपने इसाई या मुस्लिम तथाकथित मित्र को खुश करने के लिए चर्च और मस्जिद में जाना है | स्मरण रहे ,यदि तुम पाश्चात्य भोतिकतावाद संस्कृति के चक्कर में पद कर आध्यात्मिकता का आधार त्याग दोगे तो उसका परिणाम होगा की तीन पीढ़ियों में तुम्हारा जातीय अस्तित्व मिट जाएगा क्योकि राष्ट्र का मेरुदंड टूट जाएगा , राष्ट्रीय भवन की नीव ही खिसक जायेगी | इस सबका परिणाम होगा सर्वतोमुखी सत्यानाश | _____________________ स्वामी विवेकानंद मुहम्मद अली जिन्ना से एक बार किसी ने पूछा पकिस्तान का पहला बीज कब बोया गया ? तब जिन्ना ने उत्तर दिया :- जब हिन्दुस्तान के पहले हिन्दू को मुसलमान बनाया गया था || हमीद दलवाई ने अपनी पुस्तक MUSLIM POLITICS IN SECULAR INDIA में लिखा है -- मुसलमान , जो उन पर अत्याचार हो रहा है ऐसा नारा लगते है उनमे से बहुतों से मिला की आप पर कौन सा अत्याचार होता है ? चूँकि हामिद दलवाई मुसलमान था अतः स्पष्ट रूप से बताया की हिन्दुओं का बहुसंख्यक होना ही मुसलमानों पर , इस्लाम पर सबसे बड़ा अत्याचार है जिसके कारण देश का एक बड़ा हिस्सा मुस्लिम राष्ट्र नहीं बन सका | जब तक हिन्दू समाज बहुसंख्यक रहेगा तब तक हम इस देश को मुस्लिम राष्ट्र नहीं बना सकते यही हम पर इस्लाम पर सबसे बड़ा अत्याचार है || _______________ हमीद दलवाई , MUSLIM POLITICS IN SECULAR INDIA जागो नहीं तो हमेशा के लिए सोना पड़ जाएगा , इस सेकुलरता का परिणाम कितना घातक हो सकता है इसका अंदाज़ा लगाना मुश्किल नहीं है क्योकि परिणाम सबके सामने है || जय जय सियाराम ,, जय जय माँ भारती
क्या आप जानते है
1 जून 2012 को हटाए गए
- ... कि मॉनमाउथ शहर इंग्लैण्ड के हेनरी पंचम का जन्मस्थान था।
[संपादित करें] 23 अप्रैल 2012 को हटाए गए
- ... कि जगद्गुरु रामभद्राचार्य विकलांग विश्वविद्यालय दुनिया में विकलांगों के लिए पहला विशेष विश्वविद्यालय है।
[संपादित करें] 10 अप्रैल 2012 को हटाए गए
- ... कि अमेरिकी इलेक्ट्रॉनिक इंजीनियर क्लॉड शैनन (चित्रित) को "सूचना सिद्धांत का पिता" माना जाता है।
[संपादित करें] 21 मार्च 2012 को हटाए गए
- ... कि द ओवल विश्व में मेलबोर्न क्रिकेट मैदान के पश्चात टेस्ट क्रिकेट की मेजबानी करने वाला दूसरा मैदान था।
[संपादित करें] 10 मार्च 2012 को हटाए गए
- ... कि ईरान और पाकिस्तान दोनों में बलोच लोगों के नाम पर रखे गए दो अलग बलोचिस्तान (बलूचेस्तान) प्रांत हैं।
[संपादित करें] 2 मार्च 2012 को हटाये गए
- ... कि जुलाई 2011 में भारत और इंग्लैंड के बीच लॉर्ड्स में खेला गया टेस्ट मैच क्रिकेट इतिहास का 2000वा टेस्ट था।
[संपादित करें] 2 फरवरी 2012 को हटाये गए
- ... कि ऐडम मलिक (चित्रित) संयुक्त राष्ट्र महासभा के 26वें अध्यक्ष थे।
[संपादित करें] 21 दिसम्बर को हटाये गए
- ... कि पैन अमेरिकी खेल एक बहु-खेल प्रतियोगिता है जिसमें महाअमेरिका के विभिन्न देशों के खिलाडी भाग लेते हैं?
- ... कि किसी सफ़ेद बौने (चित्रित) तारे की सतह पर हाइड्रोजन एकत्रित होने पर होने वाले अनियंत्रित नाभिकीय संलयन (न्यूक्लियर फ्यूज़न) विस्फ़ोट को नोवा केहते हैं?
[संपादित करें] 7 सितंबर को हटाये गए
- ... कि अंग्रेजों ने भारत में शासन करने के लिए बांटो और राज करो की रणनीति का उपयोग किया था?
- ... कि सारस तारामंडल में कुछ मुख्य तारों को लकीरों से जोड़कर एक काल्पनिक सारस की आकृति बनाई जा सकती है?
[संपादित करें] 27 अगस्त को हटाये गए
- ... कि महाभारत के एक श्लोक पर आधारित ११वीं शताब्दी में रामानुज ने पृथ्वी का पूर्ण नक्शा बनाया था, जिसमें एक फलक में महान शशक और दूसरे में दो पत्ते जुड़े दिखते हैं।
- ... कि वाराणसी का नाम वरणासि नामक नदी के नाम से व्युत्पन्न है, और इसमें असि नदी के नाम का अंश नहीं है।
- ... कि बनारस में १०० से अधिक घाट हैं, जिनमें से ८४ मुख्य घाट हैं।
- ... कि महान शल्य चिकित्सक सुश्रुत, जिन्होंने शल्य-क्रिया का संस्कृत ग्रन्थ सुश्रुत संहिता लिखा था; वाराणसी में ही आवास करते थे।
- ... कि सरस्वती भवन संग्रहालय, वाराणसी में गोस्वामी तुलसीदास की एक पांडुलिपि की मूल प्रति भी रखी है।
- ... कि बनारस की प्रथम रेलवे लाइन दिसंबर, १८६२ में ईस्ट इंडिया रेलवे कंपनी ने कोलकाता से बनवायी थी।
[संपादित करें] १५ दिसंबर को लगाये गए
- ... कि महाभारत के एक श्लोक पर आधारित ११वीं शताब्दी में रामानुज ने पृथ्वी का पूर्ण नक्शा बनाया था, जिसमें एक फलक में महान शशक और दूसरे में दो पत्ते जुड़े दिखते हैं।
- ... कि वाराणसी का नाम वरणासि नामक नदी के नाम से व्युत्पन्न है, और इसमें असि नदी के नाम का अंश नहीं है।
- ... कि बनारस में १०० से अधिक घाट हैं, जिनमें से ८४ मुख्य घाट हैं।
- ... कि महान शल्य चिकित्सक सुश्रुत, जिन्होंने शल्य-क्रिया का संस्कृत ग्रन्थ सुश्रुत संहिता लिखा था; वाराणसी में ही आवास करते थे।
- ... कि सरस्वती भवन संग्रहालय, वाराणसी में गोस्वामी तुलसीदास की एक पांडुलिपि की मूल प्रति भी रखी है।
- ... कि बनारस की प्रथम रेलवे लाइन दिसंबर, १८६२ में ईस्ट इंडिया रेलवे कंपनी ने कोलकाता से बनवायी थी।
[संपादित करें] १ मई २०१० को लगाये गए
- ...कि १९४७ में, भारतीय स्वतंत्रता के उपरांत, वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद की स्थापना, श्री शांति स्वरूप भटनागर की अध्यक्षता में की गयी।
- ...ग्लूकोमीटर के प्रयोग से मधुमेह रोगी अपने घर पर ही स्वयं बिना किसी की सहायता के नियमित अंतराल में रक्त-शर्करा की जांच स्वयं ही कर सकते हैं।
- ...फ्रिज्बी का आविष्कार अमेरिका के यूटा राज्य के निवासी वॉल्टर फ्रेडरिक मॉरीसन ने किया था।
- ...ई-पुस्तकें कागज की बजाय डिजिटल संचिका के रुप में होती हैं जिन्हें कम्प्यूटर, मोबाइल एवं अन्य डिजिटल यंत्रों पर पढ़ा जा सकता है।
- ...अरंडी का पेड़ मूलतः दक्षिण-पूर्वी भूमध्य सागर, पूर्वी अफ़्रीका एवं भारत की उपज है, किन्तु अब उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में खूब पनपा और फैला हुआ है।
- ...१९९० में पीसी कार्ड से आकार में छोटे कई दूसरे मेमोरी कार्ड भी आए, जिनमें कॉम्पैक्ट फ्लैश, स्मार्टमीडिया और मिनी कार्ड थे।
[संपादित करें] १ अप्रैल २०१० को लगाए गए
- लार्ज हैड्रान कोलाइडर विश्व का सबसे विशाल और शक्तिशाली कण त्वरक है। यह सर्न की महत्वाकांक्षी परियोजना है।
- भारत में साबुन की पहली इकाई जमशेदजी टाटा ने १९१८ में केरल के कोच्चि में ओके कोकोनट ऑयल मिल्स के नाम से स्थापित की।
- प्रभुलाल भटनागर विश्वप्रसिद्ध भारतीय गणितज्ञ को गणित के लैटिस-बोल्ट्ज़मैन मैथड में प्रयोग किये गए भटनागर-ग्रॉस-क्रूक (बी.जी.के) कोलीज़न मॉडल के लिये जाना जाता है।
- भारतीय रेल द्वारा वर्तमान में १६ शताब्दी , १६ जनशताब्दी , २७ गरीब रथ, २५ संपर्क क्रांति एवं २७ राजधानी एक्स्प्रेस गाड़ियों के अलावा १६०० मेल एक्स्प्रेस गाड़ियाँ (जोड़ों में) चलाई जा रही हैं।
- फोर स्ट्रोक इंजन में चार स्ट्रोक का अर्थ है कि ईंधन से यांत्रिक उर्जा में परिवर्तन का चक्र कुल चार चरणों में पूरा होता है।
[संपादित करें] १ अप्रैल २०१० को हटाये गए
- हुमायूँ के मकबरे में लाल बलुआ पत्थर और श्वेत संगमरमर के संयोजन का सर्वप्रथम प्रयोग किया गया था।
- कोलेस्ट्रॉल शरीर में विटामिन डी, हार्मोन्स और पित्त का निर्माण करता है, जो शरीर के अंदर पाए जाने वाले वसा को पचाने में मदद करता है।
- गुरू और शनि ग्रहों के चन्द्रमा की तस्वीरें भेजने वाला पहला शोध यान वॉयेजर प्रथम अंतरिक्ष यान पृथ्वी और सूर्य दोनों से दूर अनंत अंतरिक्ष में अभी भी गतिशील है।
- मकर संक्रान्ति पूरे भारत में किसी न किसी रूप में मनाया जाता है।
[संपादित करें] १ नवंबर २००९
- वॉयस ओवर इंटरनेट प्रोटोकॉल सेवा मोबाइल सेवा से भी सस्ती होती है, और इंटरनेट पर तो इसे निःशुल्क प्रयोग किया जा सकता है।
- वीडियो कॉन्फ्रेन्सिंग का प्रयोग खासकर किसी बैठक या सम्मेलन के लिए तब किया जाता है, जब कई लोग अलग-अलग स्थानों में बैठे हों।
- माइटोकाण्ड्रिया के भीतर आनुवांशिक पदार्थ के रूप में डीएनए होता है जो वैज्ञानिकों के लिए आश्चर्य एवं खोज़ का विषय हैं।
- मदुरई स्थित मीनाक्षी सुन्दरेश्वर मन्दिर इमारत समूह में १२ भव्य गोपुरम हैं, जो अतीव विस्तृत रूप से शिल्पित हैं।
- एंजियोग्राफी प्रक्रिया का इस्तेमाल हृदय रोग, किडनी संक्रमण, ट्यूमर, खून का थक्का जमना आदि की जांच करने में किया जाता है।
- पॉलीमर सरल अणुओं जिन्हें मोनोमर कहा जाता; के बहुत अधिक इकाइयों के पॉलीमेराइजेशन के फलस्वरूप बनता है।
- सामूहिक बलात्कार की घटना में सम्मिलित हर बलात्कारी की पहचान डी एन ए फिंगर प्रिंटिंग द्वारा अलग-अलग की जा सकती है।
- माइग्रेन पुरुषों की तुलना में महिलाओं को तीन गुना अधिक प्रभावित करता है और अधिकांशतः इसका पता तब चलता है, जब कई साल तक रोगी इसको झेलने के बाद इसके लक्षणों से परिचित हो जाते हैं।
[संपादित करें] १ सितंबर
- भारतीय नौसेना पोत विराट भारतीय नौसेना के अग्रिम पंक्ति का वायुयान वाहक पोत है जो १८ लड़ाकू सी हैरीयर वायुयानों से लैस रहता है।
- डॉ. किरण बेदी भारतीय पुलिस सेवा की प्रथम वरिष्ठ महिला अधिकारी हैं।
- ग्रीन हाउस गैसें ग्रह के वातावरण या जलवायु में परिवर्तन और अंततः भूमंडलीय ऊष्मीकरण के लिए उत्तरदायी होती हैं।
- डायलिसिस रक्त शोधन की कृत्रिम विधि होती है। इस प्रक्रिया को तब अपनाया जाता है जब वृक्क यानि गुर्दे सही से काम नहीं कर रहे होते हैं।
[संपादित करें] १ जून २००९
को प्रदर्शित तथ्य- वृहत मीटरवेव रेडियो टेलिस्कोप भारत के पुणे शहर से 80 किलोमीटर उत्तर में खोडाड नामक स्थान पर स्थित रेडियो दूरबीनों की विश्व की सबसे विशाल सारणी है।
- बुद्ध की मूर्तियाँ सर्वप्रथम गांधार कला नामक प्रसिद्ध प्राचीन भारतीय कला में बनायी गयीं।
- लोकसभा चुनाव २००९ में मिली जीत के बाद मनमोहन सिंह, जवाहरलाल नेहरू के बाद भारत के पहले ऐसे प्रधानमंत्री बन गए हैं जिनको पाँच वर्षों का कार्यकाल सफलता पूर्वक पूरा करने के बाद लगातार दूसरी बार प्रधानमंत्री बनने का मौका मिला है।
- भारतीय गणितज्ञ ब्रह्मगुप्त (५९८-६६८) तत्कालीन गुर्जर प्रदेश (भीनमाल) के अन्तर्गत आने वाले प्रख्यात शहर उज्जैन (वर्तमान मध्य प्रदेश) की अन्तरिक्ष प्रयोगशाला के प्रमुख थे और इस दौरान उन्होने दो विशेष ग्रन्थ लिखे: ब्रह्मस्फुटसिद्धान्त (सन ६२८ में) और खन्डखड्यक (सन् ६६५ ई में)।
- १ मई २००९ को प्रदर्शित तथ्य
- १८ किलोमीटर क्षेत्र में फैली और तीन दिशाओं से पहाड़ियों से घिरी डल झील, जम्मू-कश्मीर की दूसरी सबसे बड़ी झील है। इसमें सोतों से तो जल आता है साथ ही कश्मीर घाटी की अनेक झीलें आकर इसमें जुड़ती हैं।
- स्वस्तिक शब्द सु+अस+क से बना है। 'सु' का अर्थ अच्छा, 'अस' का अर्थ 'सत्ता' या 'अस्तित्व' और 'क' का अर्थ 'कर्त्ता' या करने वाले से है। इस प्रकार 'स्वस्तिक' शब्द का अर्थ हुआ 'अच्छा' या 'मंगल' करने वाला।
- भारत के कर्नाटक राज्य में, तुंगभद्रा नदी के तट पर स्थित हम्पी, जो मध्यकालीन हिंदू राज्य विजयनगर साम्राज्य की राजधानी था अब केवल खंडहरों का अवशेष मात्र ही है।
- शंकर्स वीकली भारत में प्रकाशित पहली कार्टून पत्रिका थी। १९४८ में प्रारंभ हुई इस पत्रिका की आवृत्ति साप्ताहिक थी और इसका प्रकशन भारत में कार्टून कला के पितामह कहे जाने वाले कार्टूनिस्ट के शंकर पिल्लई करते थे।
- भारतीय गणितज्ञ ब्रह्मगुप्त (५९८-६६८) तत्कालीन गुर्जर प्रदेश (भीनमाल) के अन्तर्गत आने वाले प्रख्यात शहर उज्जैन (वर्तमान मध्य प्रदेश) की अन्तरिक्ष प्रयोगशाला के प्रमुख थे और इस दौरान उन्होने दो विशेष ग्रन्थ लिखे: ब्रह्मस्फुटसिद्धान्त (सन ६२८ में) और खन्डखड्यक (सन् ६६५ ई में)।
- १ अप्रैल २००९ को प्रदर्शित तथ्य
- भारत रत्न में तांबे के बने पीपल के पत्ते पर प्लेटिनम का चमकता सूर्य बना है, जिसके नीचे चाँदी में लिखा रहता है "भारत रत्न", और यह सफ़ेद फीते से गले पर पहना जाता है।
- माउंट एवरेस्ट विश्व का सर्वोच्च पर्वत शिखर है, जिसकी ऊंचाई ८८४८ मी. है। इसे सागरमाथा व देवगिरी भी कहते हैं।
- कावेरी नदी कुर्ग के ब्रह्मगिरि पर्वत से निकलती है, और दक्षिण की गंगा के नाम से जानी जाती है।
- उच्च घनत्व के कारण मृत सागर में तैराकों का डूबना असंभव है इसी कारण इसमें कोई मछली जीवित नहीं रह सकती।
- दीपक पंचतत्वों में से एक अग्नि का प्रतीक माना जाता है।
- १ मार्च २००९ को २००९ को प्रदर्शित तथ्य
- संगीत में एक विशेष राग वसंत ऋतु के नाम पर बनाया गया है जिसे राग बसंत कहते हैं।
- गुलाब की १०० से अधिक प्रजातियाँ हैं जिनमें से अधिकांश एशियाई मूल की हैं।
- कार्बन के रासायनिक यौगिकों को कार्बनिक यौगिक कहते हैं। प्रकृति में इनकी संख्या १० लाख से भी अधिक है।
- बाँस तेज़ी से बढ़ता है और इसकी कुछ प्रजातियों की बढ़वार साल के कुछ दिनों में १ मीटर प्रति घंटा तक पहुँच जाती है।
- मेरी क्युरी विज्ञान की दो शाखाओं में नोबेल पुरस्कार से सम्मानित होने वाली पहली वैज्ञानिक हैं।
१ फरवरी २००९ को प्रदर्शित तथ्य
१ जनवरी २००९ को प्रदर्शित तथ्य
१ दिसंबर २००८ को प्रदर्शित तथ्य
१ नवंबर २००८ को प्रदर्शित तथ्य
१ अक्तूबर २००८ को प्रदर्शित तथ्य
१ सितंबर २००८ को प्रदर्शित तथ्य
१ अगस्त २००८ को प्रदर्शित तथ्य
१ जुलाई २००८ को प्रदर्शित तथ्य
१ जून २००८ को प्रदर्शित तथ्य
- महात्मा गांधी सेतु पटना से हाजीपुर को जोड़ने को लिये गंगा नदी पर उत्तर-दक्षिण की दिशा में बना एक पुल है। यह दुनिया का सबसे लम्बा एक ही नदी पर बना सड़क पुल है।
- मुगल बादशाह अकबर ने अपने शासन काल में कई पुस्तकालय बनाये। उसके पास २४००० पुस्तकें एवं पांडुलिपियों का भंडार था जबकि वह स्वंय अनपढ़ था।
- मानव शरीर में जितनी मानव कोशिकाएँ है, उसके लगभग १० गुना अधिक जीवाणु कोष है।
- आयु के साथ व्यक्ति के डी एन ए में कोई बदलाव नहीं आता है। अतः जन्म से मृत्यु पर्यंत डी एन ए एक सा ही रहता है।
- कार्बन के रासायनिक यौगिकों को कार्बनिक यौगिक कहते हैं। प्रकृति में इनकी संख्या १० लाख से भी अधिक है।
१ जनवरी २००९ को प्रदर्शित तथ्य
- ...कि नव वर्ष का उत्सव ४००० साल पहले से बेबीलोन में मनाया जाता था। लेकिन उस समय नया वर्ष का ये त्यौहार २१ मार्च को मनाया जाता था जो वसंत ऋतु के आगमन की भी तिथि थी।
- ...कि साँप या सर्प, पृष्ठवंशी सरीसृप वर्ग का प्राणी है। इसकी कुछ प्रजातियों का आकार मात्र १० सेंटीमीटर होता है जबकि अजगर नामक साँप २५ फुट तक लम्बा होता है।
- ...कि पहला ज्ञानपीठ पुरस्कार वर्ष १९६५ के लिए मलयालम कवि गोविन्द शंकर कुरुप को उनके कविता संग्रह ओटक्कुष़ल के लिए दिया गया था।
- ...कि बिच्छू की लगभग २००० जातियाँ होती हैं जो न्यूजीलैंड तथा अंटार्कटिक को छोड़कर विश्व के सभी भागों में पाई जाती हैं।
- ...कि लोकप्रिय आरती ओम जय जगदीश हरे के रचयिता पं. श्रद्धाराम शर्मा या श्रद्धाराम फिल्लौरी थे।
१ दिसंबर २००८ को प्रदर्शित तथ्य
- ...कि सूक्ष्मजैविकी उन सूक्ष्मजीवों का अध्ययन है, जो एककोशिकीय या सूक्ष्मदर्शीय कोशिका-समूह जंतु होते हैं।
- ...कि २६ नवंबर को मुंबई में आतंक का निशाना बने लियोपोल्ड कैफ़े का प्रारंभ १९८१ में तेल की दूकान के रूप में हुआ था।
- ...कि ब्रिटेन, कनाडा, न्यूजीलैंड और ऑस्ट्रेलिया ने आपने देश में प्रवेश के लिए डी एन ए फिंगर प्रिंटिंग को अनिवार्य बना दिया है।
- ...कि वर्ष २००५ के ज्ञानपीठ पुरस्कार के लिए हिन्दी के प्रख्यात कवि कुँवर नारायण और वर्ष २००६ के लिए कोंकणी के रवीन्द्र केलकर और संस्कृत के विद्वान सत्यव्रत शास्त्री को संयुक्त रूप से चुना गया है।
- ...कि राष्ट्रपति भवन के निर्माण में लोहे का नगण्य प्रयोग हुआ है।
- ...कि हिन्दी की प्रसिद्ध ऐतिहासिक पत्रिका सरस्वती सन १९०० से १९२० तक प्रकाशित हुई।
१ नवंबर २००८ को प्रदर्शित तथ्य
- ...कि भारत का सबसे बड़ा रसोईघर पुरी के प्रसिद्ध जगन्नाथ मंदिर का है। यहाँ भगवान जगन्नाथ को महाप्रसाद जिसे अब्धा कहा जाता है, चढ़ाने के लिए लगभग ५०० रसोइये लगे हैं। छप्पन प्रकार के भोग तैयार करने के लिए ३०० सहयोगी इन रसोईयों की सहायता करते हैं।
- ...कि मध्य प्रदेश के साँवेर नामक स्थान पर स्थित भगवान हनुमान का एक विशेष मंदिर उलटे हनुमान के नाम से मालवा क्षेत्र में प्रसिद्ध है। इस मंदिर की विशेषता यह है कि इसमें हनुमानजी की उलटी मूर्ति स्थापित है।
- ...कि मानव की कोशिका के डी एन ए की कुल लंबाई लगभग छः फीट होती है।
- ...कि राष्ट्रपति भवन की गुलाब वाटिका, जो मुगल उद्यान का एक अंश है, में २५० से अधिक किस्मों के गुलाब हैं, यह जन साधारण के लिए प्रति वर्ष फरवरी माह में खुलती है।
- ...कि मेडागास्कर से गुलमोहर का विकास पूरे विश्व में हुआ पर अब वहाँ यह लुप्त होने की दशा में है। इसलिए इसकी मूल प्रजाति को संरक्षित वृक्षों की सूची में शामिल कर लिया गया है।
१ अक्तूबर २००८ को प्रदर्शित तथ्य
- ...कि रेफ्लीसिया एक बहुत ही आश्चर्यजनक पौधा है, इसका फूल वनस्पति जगत के सभी पौंधों के फूलों से बड़ा है जिसका वजन ७ किलोग्राम तक हो सकता है।
- ...कि मॉरीशस द्वीप विलुप्त हो चुके डोडो पक्षी के अंतिम और एकमात्र घर के रूप में भी विख्यात है।
- ...कि सदाफूली या सदाबहार नामक फूल के गुणों से प्रभावित होकर नेशनल गार्डेन ब्यूरो ने सन २००२ को सदाबहार वर्ष या इयर आफ़ विंका घोषित किया था।
- ...कि मुगल उद्यान, दिल्ली में अकेले गुलाब की ही २५० से अधिक प्रजातियाँ हैं।
- ... कि कुम्हड़े नामक सब्जी की सबसे बड़ी प्रजाति मैक्सिमा का वजन ३४ किलोग्राम सो भी अधिक होता है
१ सितंबर २००८ को प्रदर्शित तथ्य
- ...कि भारत का राष्ट्रपति भवन, विश्व के किसी भी राष्ट्रपति आवास से अधिक बड़ा है।
- ...कि मुंबई के मुख्य रेलवे स्टेशन छत्रपति शिवाजी टर्मिनस का पुराना नाम विक्टोरिया टर्मिनस था। आज भी इसे बोलचाल की भाषा में अक्सर "वीटी" कहते हैं।
- ...कि जीवाणु एक एककोशिकीय जीव है । इसका आकार कुछ मिलिमीटर तक ही होता है ।
- ...कि गुड़हल की दो सौ से अधिक प्रजातियाँ होती है और इसका उपयोग केश-तेल से लेकर चाय तक अनेकों वस्तुओं में होता है।
- ...कि १९७९ में हुई ईरान की इस्लामिक क्रांति, जिसके बाद ईरान को इस्लामिक गणराज्य घोषित कर दिया गया था, को फ्रांस की राज्यक्रांति और बोल्शेविक क्रांति के बाद विश्व की सबसे महान क्रांति कहा जाता है।
१ अगस्त २००८ को प्रदर्शित तथ्य
- ...कि देहरादून जिला उत्तर में हिमालय से तथा दक्षिण में शिवालिक पहाड़ियों से घिरा हुआ है। इसमें कुछ पहाड़ी नगर अत्यंत प्रसिद्ध है जैसे मसूरी, सहस्रधारा और चकराता।
- ...कि क्रांतिकारी यतीन्द्रनाथ मुखर्जी का नाम बाघा यतीन इसलिए पड़ा कि जंगल में शेर द्वारा आक्रमण कर देने पर उन्होंने वीरता से लड़ते हुए उसे हरा दिया था।
- ...कि घरेलू गौरैया एक ऐसा पक्षी है जो पालतू न होने पर भी मनुष्य के आसपास ही रहना पसंद करता है।
- ...कि राजस्थान में सुंधा माता नामक एक ऐसा पर्वत है जहाँ खंडित मूर्तियों को रखना पवित्र माना जाता है।
- ...कि सर रॉनल्ड रॉस ने मलेरिया परजीवी की खोज २० अगस्त १९८९ को की थी। इस कार्य हेतु उन्हे 1902 का चिकित्सा नोबेल मिला।
१ जुलाई २००८ को प्रदर्शित तथ्य
- ...कि महाराष्ट्र के नागपुर की रहने वाली वंदना जोशी को रंगोली बनाने में महारत हासिल है। वह पानी के ऊपर रंगोली बनाने वाली विश्व की पहली महिला हैं और वह दुनिया की सबसे बड़ी रंगोली बनाकर गिनीज बुक आफ वर्ल्ड रिकार्ड में भी अपना नाम दर्ज करा चुकी हैं।
- ...कि कथाकार प्रेमचंद ने एक फिल्म की कहानी भी लिखी थी। यह फिल्म १९३४ में मजदूर नाम से बनी थी।
- ...कि हिन्दू मापन प्रणाली में श्रीमद्भग्वदगीता के अनुसार "सहस्र-युग अहर-यद ब्रह्मणो विदुः", अर्थात ब्रह्मा का एक दिवस = 1000 महायुग = 4 अरब 32 खरब सौर वर्ष,का होता है।
- ...कि होली केवल एक पर्व ही नहीं संगीत की एक विधा भी है। लोक संगीत के साथ साथ होली को शास्त्रीय या उप-शास्त्रीय संगीत में ध्रुपद, धमार, ठुमरी या चैती के रूप में भी गाया जाता है।
- ...कि मूल रूप से मध्य एशिया का निवासी ज़हीर उद-दिन मुहम्मद (१४ फरवरी १४८३ - २६ दिसम्बर १५३०) जो बाबर के नाम से प्रसिद्ध हुआ, एक मुगल शासक था, जिसने भारत में मुगल वंश की स्थापना की। वह तैमूर लंग का परपोता था और स्वयं को चंगेज खां का वंशज मानता था । --अमित प्रभाकर ११:३५, १९ मार्च २००७ (UTC)
- ...कि क्रांतिकारी यतीन्द्रनाथ मुखर्जी का नाम बाघा यतीन इसलिए पड़ा कि जंगल में शेर द्वारा आक्रमण कर देने पर उन्होंने वीरता से लड़ते हुए उसे हरा दिया था।
१ जून २००८ को प्रदर्शित तथ्य
- ...कि मलेरिया एक प्रोटोजोआ जनित रोग है मानव इतिहास में इसे सबसे बडा हत्यारा माना जाता है आज भी यह लाखों मौतों का कारण बनता है।
- ...कि सावित्री बाई खानोलकर, जिन्हें सर्वोच्च भारतीय सैनिक अलंकरण परमवीर चक्र के रूपांकन का गौरव प्राप्त है, मूल रूप से एक विदेशी महिला थीं।
- ...कि जांजगीर के विष्णु मंदिऱ भारत का एकमात्र ऐसा मंदिर है जिसका गर्भगृह खाली है वहाँ कोई प्रतिमा नहीं है।
- ...कि इन्दिरा गाँधी अन्तर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे पर स्थित हज टर्मिनल मुख्य रूप से मुसलमानों के वार्षिक हज यात्रा के दौरान होने वाली भारी आवाजाही को देखते हुए बनाया गया था जिसमें भारतीय मुसलमान मध्यपूर्व की (खासकर सऊदी अरब में स्थित मक्का और मदीने की) यात्रा करते हैं।
- ...कि रायपुर स्थित नगरघड़ी में हर घंटे बजने वाले गजर के लिए छत्तीसगढ़ की 24 लोकधुनों को संयोजित कर राज्य की लोक संस्कृति को अभिव्यक्त करने का अनूठा प्रयास किया गया है।
- ...कि फ़िल्म निर्माता केतन मेहता राजा रवि वर्मा के जीवन पर रंग रसिया नाम से एक फिल्म बनाने जा रहे हैं जिसमें राजा रवि वर्मा की भूमिका निभाएंगे अभिनेता रणदीप हुड्डा। फिल्म में अभिनेत्री होंगी नंदना सेन।
- ...कि पहले याहू.कॉम का नाम "जेरीज गॉइड टू वर्ल्ड वाइड वेब" (Jerry's Guide to the World Wide Web) था अप्रैल १९९४ में इसका नाम याहू कर दिया गया
- ...कि 2008 में अमरीका के राष्ट्रपति पद के लिए डेमोक्रैटिक पार्टी के अग्रणी उम्मीदवार बराक ओबामा ने दो लोकप्रिय पुस्तकें भी लिखी हैं।
- ...कि महाभारत विश्व का सबसे लंबा साहित्यिक ग्रंथ है।
- ...कि रावलपिंडी का लियाक़त बाग़ जहाँ बेनजीर भुट्टो की हत्या की गई वहाँ पर इसके पहले पाकिस्तान के पहले प्रधानमंत्री लियाक़त अली ख़ान की भी इसी तरह एक चुनावी रैली में हत्या कर दी गई थी । उसके बाद बेनजीर के पिता ज़ुल्फ़िकार अली भुट्टो को फांसी भी यहीं दी गई थी ।
- ...कि प्रेमचंद ने अपने लेखन का प्रारंभ उर्दू में नवाबराय नाम से किया,पर बाद में अधिक पाठकों तक पहुंचने के लिये वे हिन्दी में प्रेमचंद नाम से लिखने लगे।
- ...कि विश्व में पहली बार 1 जनवरी को नए साल ईसा पूर्व ४५वें साल में बनाया गया। जब रोम के तानाशाह जूलियस सीज़र ने जूलियन कैलेंडर की स्थापना की।
- ...कि मुद्रा स्फीति एक गणितीय युक्ति (तरकीब) है जिससे बाज़ार में मुद्रा का फैलाव व चीजों की कीमतों में वृद्धि को नापा जाता है।
- ...कि ऑक्सफ़र्ड विश्वविद्यालय ने सत्यजित राय को सम्मानदायक डॉक्टरेट की उपाधियाँ प्रदान की थी। चार्ली चैपलिन के बाद वे इस सम्मान को पाने वाले पहले फ़िल्म निर्देशक थे।
- कूलाम्ब आवेश की वह मात्रा है जो 1 मीटर दूरी पर रखे समान आवेश को 9*10^9 न्युटन बल से प्रतिकर्षित करे।
- एम एम टी सी भारत की प्रथम ऐसी अन्तर्राष्ट्रीय व्यापारिक कम्पनी है जिसे 'सुपर स्टार ट्रेडिंग हाउस' का दर्जा प्रदान किया गया है।
- पाकिस्तान के क्रिकेट कोच बॉब वूल्मर का जन्म भारत के कानपुर शहर में 14 मई, 1948 को हुआ था। दाएँ हाथ से बल्लेबाज़ी और मध्यम गति की गेंदबाज़ी करने वाले रॉबर्ट एंड्रयू वूल्मर ने 1975 में इंग्लैंड की टीम से अपने टेस्ट क्रिकेट जीवन की शुरुआत की थी।
- जयन्त विष्णु नार्लीकर ने आइनस्टाइन के सापेक्षता सिद्धान्त और माक सिद्धान्त को मिलाते हुए हॉयल-नार्लीकर सिद्धान्त का प्रतिपादन किया है।
- लंदन में स्थित ईलिंग बरो के एक जिले साउथॉल की 70,000 जनसंख्या का 55% भारतीय/पाकिस्तानी (ब्रितानी एशियाई) है।
- चार्ल्स द्वितीय को कैथरीन दे ब्रागान्ज़ा से विवाह करने पर मुम्बई शहर दहेज में मिला।
- बर्लिन की दीवार ने 28 साल तक बर्लिन शहर को विभाजित करके रखा।
- रुहोल्ला खोमैनी ईरान का अयतोल्ला अल-उज़्मा था।
- भारत के विभाजन के दौरान हुई हिंसा में करीब 5 लाख लोग मारे गए, और करीब 1.45 करोड़ शरणार्थियों ने अपना घर-बार छोड़कर बहुमत संप्रदाय वाले देश में शरण ली।
- झाँसी की रानी सुभद्रा कुमारी चौहान की प्रसिद्ध कविता है।
- 26 मार्च 2007 को हिंदी साहित्यकार महादेवी वर्मा की 100वीं जयंती है। उनका जन्म 26 मार्च 1907 को हुआ था। यह वर्ष उनकी जन्मशती के रूप में भी मनाया जा रहा है।
- चंदबरदाई को हिंदी का पहला कवि और उनकी रचना पृथ्वीराज रासो को हिंदी की पहली रचना होने का सम्मान प्राप्त है।
- जापान चार बड़े और अनेक छोटे द्वीपों का एक समूह है।
- प्रसिद्ध अमेरिकी लेखक ओ. हेनरी या विलियम पोर्टर, तीन वर्ष और तीन महीनों तक जेल में रहे।
- मा परिवार सेना चीन के मुसलमान योद्धा थे जिन्हें अन्ततः समाजवादियों ने हराया।
- आयुर्वेद अथर्ववेद का उपवेद है।
- निरंतर विश्व की पहली ज्ञात हिन्दी ब्लॉगज़ीन है।
- विंग्स आफ फायर: एन आटोबायोग्राफी आफ एपीजे अब्दुल कलाम (1999), मूल रुप मे अंग्रेजी मे प्रकाशित यह किताब, विश्व की 13 भाषाओ मे अनूदित हो चुकी है । जिसमे भारत की प्रमुख भाषाए हिन्दी, गुजराती, तेलुगू, तमिल, मराठी, मलयालम के साथ-साथ कोरियन, चीनी और ब्रेल लिपी भी शामिल है ।
- सुन्दरमूर्ति वर्ष ८२४ मे स्वर्गलोक को गए, वे आठवी सदी के तमिलनाडु के एक नायनमार सन्त थे।
- पतंजलि ने पाणिनि के अष्टाध्यायी पर अपनी टिप्पणी लिखी जिसे महाभाष्य का नाम दिया (महा + भाष्य - समीक्षा, टिप्पणी, विवेचना, आलोचना)।
- अज्ञात तिथि
- कि काली-गर्दन वाली स्टिल्ट (Black-necked stilt, तसवीर देखें) पक्षी को देखकर ऐसा लगता है कि उसने काला कोट-पैंट पहना हुआ हो, और उसके चूज़े अंडे से निकलने के दो घंटे बाद ही तैर सकते हैं ?
- कि कोलकाता का राजभवन, जो ब्रिटिश राज के समय गवर्नर-जनरल का मुख्यालय था, डर्बीशायर (ब्रिटेन) के केड्लेस्टन हॉल की तर्ज़ पर बना था ?
- कि 21 जनवरी 2006 को इलाम हलीमी, एक फ़्रांसिसी यहूदी, को एक मुसल्मान युवकों के गिरोह ने अगुआ कर लिया और बाद में तड़पाकर मार डाला, शायद पैसों या यहूदी-विरोध की वजह से ?
- कि बिसान्तियम के सम्राट अपने जीवन का आख़िरी समय कुन्स्तान्तिनिया के सबसे बड़े आश्रम में सन्यासी बनकर गुज़ारते थे ?
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