Saturday, June 2, 2012

क्या आप जानते हैं कि.... शिया और सुन्नी मुसलमान कौन होते हैं....?????

दरअसल... जब इस्लाम का प्रादुर्भाव हुआ... उस समय दुनिया में अन्य सभी धर्म ... (जैसे कि हिन्दू धर्म, बौद्ध धर्म, ईसाई एवं यहूदी ) पूर्णतः स्थापित हो चुके थे..... जिस कारण इस्लाम के प्रतिपादक मुहम्मद साहब को इस्लाम जैसे फर्जी धर्म को बढ़ाना एक टेढ़ी खीर लगा....!

इसीलिए, मुहम्मद साहब ने अपने पेशे के अनुरूप एक फरमान जारी कर दिया कि... .......... जो कोई भी इस्लाम स्वीकार नहीं करेगा..... उसे मार दिया जाएगा और उनके घर की महिलाओं से बलात्कार कर..... उसकी सारी धन-दौलत लूट ली जाएगी..... लेकिन अगर ... जो कोई भी इस्लाम स्वेच्छा से स्वीकार कर लेगा उसे ढेर सारी धन-दौलत के साथ-साथ गिरोह में भी अच्छा पद भी दे दिया जाएगा..!

मुहम्मद साहब के इस फरमान को सुनते ही आस-पास के सारे कबीलों में हडकंप मच गया....... क्योंकि लोगों को मुहम्मद साहब और उनके गिरोह के बारे में भली-भांति मालूम था कि.... वे निश्चय ही वैसा कर सकते हैं...!

इस तरह.... जिन हिन्दुओं और ईसाईयों को मुहम्मद साहब के इस फरमान को सुनकर डर से ही पैंट में पेशाब हो गया.... और, उन्होंने अपनी तथा अपने परिवार की जान बचाने और धन-सम्पदा के लालच के लिए.... सिर्फ फरमान सुनकर ही मुसलमान बन गए.. वे सुन्नी (सुनकर बना हुआ मुस्लिम) मुसलमान कहलाये...!

परन्तु..... कुछ लोग फरमान सुनकर मुसलमान तो नहीं बने.... लेकिन, सियार की तरह डर कर इधर-उधर छुप गए... और, बाद में लालच में आकर इस्लाम कबूल लिया.... जिसे शिया (सियार की तरह बने मुस्लिम) मुसलमान कहा जाता है..!

इस तरह इस्लाम में प्रारंभ से ही दो धडें मौजूद थी.... लेकिन मुहम्मद साहब का आतंक इतना था कि... लोग खुल कर कुछ नहीं बोल पाते थे....!

परन्तु... पिगम्बर मुहम्मद साहब की मृत्यु (लगभग CE 632 ) के बाद इन दोनों धडों का मतभेद खुल कर सामने आ गया... जब 8 जून 632 ... को मदीना में इस्लाम के उत्तराधिकारी खलीफा का चुनाव हो रहा था..!

चूँकि.. सुन्नी मुसलमान पहले से मुहम्मद साहब या यूँ कहें की इस्लाम से जुड़े थे .. इसीलिए उन्होंने स्वभावतः मुहम्मद साहब के उत्तराधिकारी के तौर पर मुहम्मद साहब के सबसे करीबी अबू बकर को खलीफा स्वीकार किया .

जबकि.... शिया मुसलमानों ने अबुबकर को खलीफा मानने से इंकार कर दिया और उन्होंने अली इब्न अबी तालिब ( जो कि मुहम्मद साहब का चचेरा भाई और साथ में दामाद भी था {उन्होंने अपनी भतीजी से शादी की थी} [चकराएं नहीं.... अली साहब ने तो भतीजी तक भी सोचा... लेकिन, मुहम्मद साहब ने तो मौका पाकर अपनी सगी बेटी फातिमा पर ही हाथ साफ कर लिया था ])

इस तरह ... मुहम्मद साहब की मृत्यु के बाद मुस्लिम खुले रूप से ""शिया और सुन्नी"" नामक दो धड़े में बँट गए...और उनमे वर्चस्व की लड़ाई प्रारंभ हो गयी..!

आज दुनिया में लगभग 90% आबादी सुन्नी मुस्लिमों की है...!

जय महाकाल...!!!

disclaimer : ये लेख विशुद्ध रूप से वैज्ञानिक तथ्यों पर आधारित है... इसीलिए, कृपया बिना परफेक्ट सबूत के कोई भी सज्जन अथवा दुर्जन अपना भोंपू ना बजाएँ...!

" सेकुलर " एक शब्द जो भारत में अब धर्म बन गया है आज सेकुलरता का अर्थ हिन्दुओं को गाली देना , हिन्दू देवी देवताओं को भला बुरा कहना और अपने इसाई या मुस्लिम तथाकथित मित्र को खुश करने के लिए चर्च और मस्जिद में जाना है | स्मरण रहे ,यदि तुम पाश्चात्य भोतिकतावाद संस्कृति के चक्कर में पद कर आध्यात्मिकता का आधार त्याग दोगे तो उसका परिणाम होगा की तीन पीढ़ियों में तुम्हारा जातीय अस्तित्व मिट जाएगा क्योकि राष्ट्र का मेरुदंड टूट जाएगा , राष्ट्रीय भवन की नीव ही खिसक जायेगी | इस सबका परिणाम होगा सर्वतोमुखी सत्यानाश | _____________________ स्वामी विवेकानंद मुहम्मद अली जिन्ना से एक बार किसी ने पूछा पकिस्तान का पहला बीज कब बोया गया ? तब जिन्ना ने उत्तर दिया :- जब हिन्दुस्तान के पहले हिन्दू को मुसलमान बनाया गया था || हमीद दलवाई ने अपनी पुस्तक MUSLIM POLITICS IN SECULAR INDIA में लिखा है -- मुसलमान , जो उन पर अत्याचार हो रहा है ऐसा नारा लगते है उनमे से बहुतों से मिला की आप पर कौन सा अत्याचार होता है ? चूँकि हामिद दलवाई मुसलमान था अतः स्पष्ट रूप से बताया की हिन्दुओं का बहुसंख्यक होना ही मुसलमानों पर , इस्लाम पर सबसे बड़ा अत्याचार है जिसके कारण देश का एक बड़ा हिस्सा मुस्लिम राष्ट्र नहीं बन सका | जब तक हिन्दू समाज बहुसंख्यक रहेगा तब तक हम इस देश को मुस्लिम राष्ट्र नहीं बना सकते यही हम पर इस्लाम पर सबसे बड़ा अत्याचार है || _______________ हमीद दलवाई , MUSLIM POLITICS IN SECULAR INDIA जागो नहीं तो हमेशा के लिए सोना पड़ जाएगा , इस सेकुलरता का परिणाम कितना घातक हो सकता है इसका अंदाज़ा लगाना मुश्किल नहीं है क्योकि परिणाम सबके सामने है || जय जय सियाराम ,, जय जय माँ भारती

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