Saturday, September 24, 2011

rajput

फूल नहीं धधकता अंगार हूँ मैं।
थके स्वाभिमान को झकझोरती ललकार हूँ मैं।
सो‍ई भारत की वर्षों से अन्तरात्मा
नवजागरण की पुकार हूँ मैं।
ग़ुलामी बस चु्की है ख़ून में
पर क्रांति की टंकार हूँ मैं।
सर अब हमारा कभी न झुकेगा
विजयमाला का शृंगार हूँ मैं।
भस्म होगी सब दासता मानस की
सच्चे स्वाधीनता की चिंगार हूँ मैं।
बुझेगा न ये दीपक चाहे कितना ज़ोर लगा लो
हर आँधी तूफ़ान की बेबस हार हूँ मैं।
अग्निमय हूँ अग्निरूप हूँ अग्नि का उपासक हूँ
अग्नि मेरी आत्मा सत्याग्नि का ही विस्तार हूँ मैं।

exam

agar aapki shadi nhi huyi.....? To is bar kr lena...... qki agle saal goverment iske liye bhi exam lene k liye soch rhi h.................???????????????? MET.................. MARRIGE ELIGIBILITY TEST

Tuesday, September 13, 2011

about india

भारत, पौराणिक जम्बूद्वीप, आधुनिक दक्षिण एशिया में स्थित भारतीय उपमहाद्वीप का सबसे बड़ा देश है। भारत का भौगोलिक फैलाव ८० ४' से ३७० ६' उत्तरी अक्षांश तक तथा ६८० ७' से ९७० २५'पूर्वी देशान्तर तक है। भारत का विस्तार उत्तर से दक्षिण तक कि. मी. और पूर्व से पश्चिम तक २,९३३ कि. मी. है। भारत की समुद्र तट रेखा ७५१६.६ किलोमीटर लम्बी है। भारत, भौगोलिक दृष्टि से विश्व में सातवाँ सबसे बड़ा और जनसँख्या के दृष्टिकोण से दूसरा सब से बड़ा देश है। भारत के पश्चिम में पाकिस्तान, उत्तर-पूर्व में चीन, नेपाल, और भूटान और पूर्व में बांग्लादेश और म्यान्मार देश स्थित हैं। हिन्द महासागर में इसके दक्षिण पश्चिम में मालदीव, दक्षिण में श्रीलंका और दक्षिण-पूर्व में इंडोनेशिया हैं। उत्तर-पश्चिम में अफ़गानिस्तान के साथ भारत की सीमा है। इसके उत्तर में हिमालय पर्वत है और दक्षिण में हिन्द महासागर है। पूर्व में बंगाल की खाड़ी है तथा पश्चिम में अरब सागरसमुद्र हैं । भारत में कई बड़ी नदियाँ हैं । गंगा नदी भारतीय संस्कृति में अत्यंत पवित्र मानी जाती है। अन्य बड़ी नदियाँ सिन्धु, नर्मदा, ब्रह्मपुत्र, यमुना, गोदावरी, कावेरी, कृष्णा, चम्बल, सतलज, व्यास आदि हैं।

यह विश्व का सबसे बड़ा लोकतंत्र है। यहाँ ३०० से अधिक भाषाएँ बोली जाती हैं [1]। यह विश्व की कुछ प्राचीनतम सभ्यताओं की जननी रहा है जैसे - सिन्धु घाटी सभ्यता, और महत्वपूर्ण ऐतिहासिक व्यापार पथों का अभिन्न अंग भी. विश्व के चार प्रमुख धर्म : सनातन-हिन्दू, बौद्ध, जैन तथा सिख भारत में ही जन्मे और विकसित हुए।

भारत भौगोलिक क्षेत्रफल के आधार पर विश्व का सातवाँ सबसे बड़ा राष्ट्र है। भारत की राजधानी नई दिल्ली है। भारत के अन्य बड़े महानगर मुम्बई (बम्बई), कोलकाता (कलकत्ता) और चेन्नई (मद्रास) हैं। १९४७ में स्वतंत्रता प्राप्ति से पूर्व ब्रिटिश भारत के रूप में ब्रिटिश साम्राज्य के प्रमुख अंग भारत ने विगत २० वर्ष में सार्थक प्रगति की है, विशेष रूप से आर्थिक और भारतीय सेना एक क्षेत्रीय शक्ति और विश्वव्यापक शक्ति है। भारत विश्व की दसवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है। हाल के वर्षों में भारत की अर्थव्यवस्था ने बहुत प्रगति की है, और ताज़ा स्थिति में भारत विश्व में तीसरे-चौथे स्थान पर होने का दावा करता है ।
नये आगंतुकों का स्वागत है yuva panchayat एक ऐसा माध्यम है जो आप के विचारों को समाज तक पहुँचाता है और लोगों को आप के विचारों से अवगत कराता है। yuva panchayat के द्वारा हम भारतीय संस्कृति तथा विज्ञान कला व दर्शन की जानकारी दुनिया भर में हिन्दी पढ़ने लिखने वालों तक पहुँचा सकते हैं। अतः सही हिन्दी जानने वालों से अनुरोध है कि आप अपनी जानकारी को yuva panchayat पर सहेजें। यहाँ पर तकनीकी मामलों पर भी यहाँ प्रश्न पूछे जा सकते है। नया मत लिखने के लिए join site पर क्लिक करें।

g.k

Thursday, September 8, 2011

WO BACHPAN KI YAADEIN


wo bachapn ki yaadein
wo bACHPAn ki baatein
kuch anjaan hoti thi wo baatein
shararat bhari hoti thi wo baatein
wo din ki masti
or raaton ki baatein
yaad hai mujhe wo chhuta HOMEWORK
aur teacher ki Laatein
wo khel kar aana der se
aur papa ki daatein
wo cycle ki ghanti
aur naadan baatein
Yaad mujhe wo aaj bhi aati hai
chhoti si ladai,aur bhigi si aankhein
Pta nahi kahan gumm ho gyi wo baatein
bas yaadein ban kr reh gyi wo baatein.....

MAA

"MAA" tum sardha KUSUM si
mere harday m tum basti ho
"MAA" tum ho ek gorav se
mera sabal shara banti ho
"MAA" tum ho prem pushpo se
mere rom rom m khilti ho
"MAA" tum ho alakh ek jot se
mere shma m tum hi jalti ho
"MAA" tum ho hansti bhavri se
mere ghar m prem ras bharti ho
"MAA" tum ho ishver ki anmol rachna se
meri aatma m basti ho
"MAA" tum ho bs MAA se.............
mere jiven ki tum daata ho...

awesome poem

कुछ पल के लिए तो ठहर जा साथिया,
जीवन भर के लिए अपने नज़रों में उतार लूँ,
फिर ये खुबसूरत शाम मिले ना मिले,
तुझको अपने दिल में बसा लूँ साथिया।।

कुछ मंज़र के लिए अपना नकाब उठा दे साथिया,
जी भर के लिए अपने ख्वाबों में निहार लूँ,
फिर ये हसीन दीदार नसीब हो ना हो,
तुझको अपने अरमानों में सजा लूँ साथिया।।

कुछ रातों के लिए अपनी कस्तुरी उधार दे दे साथिया,
तेरी कस्तुरी से अपने नसीब को महका लूँ,
फिर ये नायाब महक महके या ना महके,
तुझको अपने पलकों में बिठा लूँ साथिया।।

कुछ समय के लिए अपना प्रकाश रगो में भर दे दे साथिया,
तेरे इसी प्रकाश से अपना जीवन प्रकाशमय कर लूँ,
फिर ये कायनात प्रकाश दमके ना दमके
तुझको अपने सीने में कैद कर लूँ साथिया।।

own poetry