Wednesday, June 13, 2012

औरंजेब के क्रूरता ने हिन्दुओ पे सितम ढाये थे जनेऊ तुड्वाकर तिलक मिटाकर जप तप बंद कराये थे जब चलते यज्ञों की बेदी पर गोमांसबिखेरा जाता था ऋषियों के उर मे डाल तलवारे ,हाड़ उखेरा जाता था ये थी हिंसा की चरम सीमाए ,क्या इन्हे मिटाने आए हो ? तुम लेकर अहिंसा का झण्डा , मेरा खून जलाने आए हो बाबर की अतिबर्बर बर्बरता ने, लाशों के ढेर बिछाये थे मेरे मोहन ओ श्याम के मंदिर पर खून के धब्बे लगाए थे तोड़ मेरे प्रभु राम का मंदिर,बाबरी के पाप सजाये थे लाल रक्त के अमिट धब्बो को कीचड़ से मिटाने आए हो तुम लेकर अहिंसा का झण्डा , मेरा खून जलाने आए हो तथाकथित आजादी का वो पहला सूरज निकला था ....... हु अकबर अकबर चिल्लाता दानवो का एक काफिला था बाजारो मे हिन्दू देवीया नंगी दौड़ाई जाती थी वो अबला ,मासूम व्यथित हो राम राम चिल्लाती थी उन्हे देख अहिंसा रोयी थी ,हिंसा ने भी आँसू बहाये थे इतने पर भी उन असुरो ने गुप्तांगों मे भाले घुसाए थे वो चीख रही थी , तड़प रही थी ,बिलख रही थी एक ओर एक ओर पिब रहा दूध बकरी का , था चरखो का हल्का शोर झटपटा रही थी, पड़ी धरा पर ,थे ऊपर पर हवसी सवार एक ओर गीत गा गाकर के बांट रहा था दुश्मन को प्यार उनके करुण रुन्दन के गुंजन की आवाज दबाने आए हो तुम लेकर अहिंसा का झण्डा , मेरा खून जलाने आए हो मेरे हजारो मंदिर टूटे है, लुटा है लाखो माँ बहनो का शील करोड़ो भाइयो की रक्त धारा से बनीहै नफरत की ये झील मेरे गोमाता काट काट प्लेटो मे सजाई जाती है खोलते पानी मे डाल बछड़ो को खाल उतारी जाती है वो प्रभु राम को गाली देत है,घनश्याम को गाली देते हे तुम बनके अहिंसा के उपासक इन पापोको छिपाने आए हो तुम लेके अहिंसा का झण्डा , बस खूनजलाने आए हो तुम भूल सको तो भूल जाओ , उन बिखरी लाशों के ढेरो को लूटे माताओ के शीलों को , दिये जख्मो के घेरो को हा भूल जाओ तुम टूटे मंदिरो की उन आह भरती नीवों को तुम भूल ही जाओ तो अच्छा ,गोमाता की अव्यक्तित चीखो को तुम जब महान गोडसे को इस मुख से हत्यारा बताते हो - तब ऊपर लिखे इन जुल्मो को क्यो कैसे भूल जाते हो ? राम बोलने वाले गोपुजकों को तुम साम्र्प्दयिक बताते हो बारूद बिछाने वालो को भाई कह अहिंसा का ढोंग दिखाते हो तुम झूठी अहिंसा के खून से धर्म पर कलंक लगाने आए हो तुम लेकर अहिंसा का झण्डा मेरा खून जलाने आए हो......jai Mahakal!!!

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