Friday, August 24, 2012

इस पोस्ट को लेकर मुझे हिन्दू होने की मर्यादा मत सिखाना.... बहेके जा रहे सेक्युलर प्रभाव को लेकर यह पोस्ट है..... यही है चरित्र निर्माण इसाईयो का,यही हैं असलियत इसायियोंकी..... . पोलैंड के न्यायालय में एक नन ने निवेदन रखा कि हिन्दू धर्म और इस्कॉन पर प्रतिबन्ध लगा दिया जाये क्यूंकि यह श्रीकृष्ण कि महिमा मंडित करते है जबकि श्रीकृष्ण ने १६१०८ विवाह किया था जिससे सिद्ध होता है कि श्रीकृष्ण एक चरित्रहीन व्यक्ति थे, हिन्दुओं के अधिवक्ता ने सुनवाई के समय कहा कि "न्यायाधीश महोदय आप आ ज्ञा दीजिये नन महोदया को कि नन बनते समय उनहोंने जो शपथ लिया था उसे दोहराएँ" , नन ने दोहराने से मना कार दिया, हिन्दुओं के अधिवक्ता ने पुनः न्यायाधीश महोदय से निवेदन किया कि "आप शपथ दोहराने के लिए कहिये" पर नन ने पुनः मना कार दिया इस पर हिन्दुओंके अधिवक्ता ने न्यायाधीश महोदय से कहा कि "यदि आप आज्ञा दें तो मैं वह शपथ न्यायालय में दोहरा सकता हूँ" , न्यायाधीश ने आज्ञा दिया , हिन्दुओं के अधिवक्ता ने कहा पुरे विश्व में नन बनते समय लड़कियां यह शपथ लेती है कि "मै जीजस को अपना पति स्वीकार करती हूँ और उनके अलावा किसी अन्य पुरुष से शारीरिक सम्बन्ध नहीं बनाउंगी, " तो न्यायाधीश महोदय यह बतैये कि अबसे पहले कितने लाख ननों ने जीसस से विवाह किया और भविष्य में भी ना जाने कितने लोग विवाह करेंगे तो क्या ईसाईयों और इसाई धर्म पर प्रतिबन्ध लगा दिया जाये ? जिस पर नन ने अपना केस वापसले लिया!! --------------- --------------- --------------- --------------- --------------- -- एक और सच्ची घटना - जर्मनी में एक बहस के दौरान एक मिशनरी पादरी ने कहा, "हिन्दुओं ने कभी भी भारत से बाहर निकलकर अपने धर्म का प्रचार-प्रसार इसलिए नहीं किया, क्योंकि वे जानते थे कि इसकी कोई कीमत ही नहीं है…" तत्काल इसका प्रतिवाद करते हुए एक विद्वान मैक्समुलर ने कहा,"यदि कोई व्यक्ति अपनी माँ की सुन्दरता का प्रचार करते हुए खुद की कीमत आँकता है, तो बाहरी दुनिया उसकी माँ को वेश्या समझती है… जबकि यदि तुम्हें अपनी माँ की इज़्ज़त बढ़ानी हो तो अपने कर्मों के द्वारा बढ़ाओ…। प्रत्येक माँ की कीमत उसके बेटे द्वारा किए गए कर्मों द्वारा सिद्ध होती है, यदि पुत्र के कर्म सत्कर्म हैं तो स्वयमेव ही उसकी माँ की इज़्ज़त बढ़ जाती है… इस हेतु उसे बाहर निकलकर प्रचार-प्रसार करने की आवश्यकता नहीं है…" =============== = जर्मनी के तत्कालीन कट्टर चर्च ने इस बयान के लिए मैक्सम्यूलर कोप्रतिबन्धित कर दिया था… इस चर्चित बयान के बाद अचानक दुनिया के सभी पश्चिमी विद्वान, हिन्दुत्व को समझने के लिए भारत की ओर दौड़ पड़े —

।। जयतु संस्‍कृतम् । जयतु भारतम् ।।

हिंदुत्व शंखनाद वेद ज्ञान को आधार मान कर न्यूलैंड के एक वैज्ञानिक स्टेन क्रो ने एक डिवाइस विकसित कर लिया। ध्वनि पर आधारित इस डिवाइस से मोबाइल की बैटरी चार्ज हो जातीहै। इस बिजली की आवश्यकता नहीं होती है। भारत के वरिष्ठ अंतरिक्ष वैज्ञानिक ओमप्रकाश पांडे ने वेदों में निहित ज्ञान पर प्रकाश डालते हुए दैनिक भास्कर प्रतिनिधि से बातचीत में यह जानकारी दी। उन्होंने बताया कि इस डिवाइस का नाम भी ओम डिवाइस रखा गया है। उन्होंने कहा कि संस्कृत को अपौरुष भाषा इसलिए कहा जाता है किइसकी रचना ब्रह्मांड की ध्वनियोंसे हुई है। उन्होंने बताया कि गति सर्वत्र है। चाहे वस्तु स्थिर हो या गतिमान। गति होगी तो ध्वनि निकलेगी। ध्वनि होगी तो शब्द निकलेगा। सौर परिवार के प्रमुख सूर्य के एक ओर से नौ रश्मियां निकलती हैं और ये चारों और से अलग-अलग निकलती है। इस तरह कुल 36रश्मियां हो गई। इन 36 रश्मियों के ध्वनियों पर संस्कृत के 36 स्वर बने। इस तरह सूर्य की जब नौ रश्मियां पृथ्वी पर आती है तो उनका पृथ्वी के आठ बसुओं से टक्करहोती है। सूर्य की नौ रश्मियां औरपृथ्वी के आठ बसुओं की आपस में टकराने से जो 72 प्रकार की ध्वनियां उत्पन्न हुई वे संस्कृतके 72 व्यंजन बन गई। इस प्रकार ब्रह्मांड में निकलने वाली कुल 108 ध्वनियां पर संस्कृत की वर्णमाला आधारित है। उन्होंने बताया कि ब्रह्मांड की ध्वनियों के रहस्य के बारे में वेदों से ही जानकारी मिलती है। इनध्वनियों को नासा ने भी माना है। इसलिए यह बात साबित होती है कि वैदिक काल में ब्रह्मांड में होने वाली ध्वनियों का ज्ञान ऋषियों को था। सनातन परमो धर्मा ।। जयतु संस्‍कृतम् । जयतु भारतम् ।।

।। जयतु संस्‍कृतम् । जयतु भारतम् ।।

हिंदुत्व शंखनाद वेद ज्ञान को आधार मान कर न्यूलैंड के एक वैज्ञानिक स्टेन क्रो ने एक डिवाइस विकसित कर लिया। ध्वनि पर आधारित इस डिवाइस से मोबाइल की बैटरी चार्ज हो जातीहै। इस बिजली की आवश्यकता नहीं होती है। भारत के वरिष्ठ अंतरिक्ष वैज्ञानिक ओमप्रकाश पांडे ने वेदों में निहित ज्ञान पर प्रकाश डालते हुए दैनिक भास्कर प्रतिनिधि से बातचीत में यह जानकारी दी। उन्होंने बताया कि इस डिवाइस का नाम भी ओम डिवाइस रखा गया है। उन्होंने कहा कि संस्कृत को अपौरुष भाषा इसलिए कहा जाता है किइसकी रचना ब्रह्मांड की ध्वनियोंसे हुई है। उन्होंने बताया कि गति सर्वत्र है। चाहे वस्तु स्थिर हो या गतिमान। गति होगी तो ध्वनि निकलेगी। ध्वनि होगी तो शब्द निकलेगा। सौर परिवार के प्रमुख सूर्य के एक ओर से नौ रश्मियां निकलती हैं और ये चारों और से अलग-अलग निकलती है। इस तरह कुल 36रश्मियां हो गई। इन 36 रश्मियों के ध्वनियों पर संस्कृत के 36 स्वर बने। इस तरह सूर्य की जब नौ रश्मियां पृथ्वी पर आती है तो उनका पृथ्वी के आठ बसुओं से टक्करहोती है। सूर्य की नौ रश्मियां औरपृथ्वी के आठ बसुओं की आपस में टकराने से जो 72 प्रकार की ध्वनियां उत्पन्न हुई वे संस्कृतके 72 व्यंजन बन गई। इस प्रकार ब्रह्मांड में निकलने वाली कुल 108 ध्वनियां पर संस्कृत की वर्णमाला आधारित है। उन्होंने बताया कि ब्रह्मांड की ध्वनियों के रहस्य के बारे में वेदों से ही जानकारी मिलती है। इनध्वनियों को नासा ने भी माना है। इसलिए यह बात साबित होती है कि वैदिक काल में ब्रह्मांड में होने वाली ध्वनियों का ज्ञान ऋषियों को था। सनातन परमो धर्मा ।। जयतु संस्‍कृतम् । जयतु भारतम् ।।

Wednesday, August 15, 2012

मानसिकता का अंतर ..और कौन धर्म क्या सिखाता है ---- पिछले एक महीने के ताज़ा उदहारण , अन्ना जी का अनशन नौ दिन चलता है..दिल्ली के अति महत्वपूर्ण स्थान जंतर-मंतर पर .....दो से दस हज़ार लोगों की भीड़ रात - दिन हर वक़्त मौजूद रहती है .....कोई तोड़ फोड़ नहीं होती ...एक पैसे का भी राष्ट्रीय सम्पति का नुक्सान नहीं होता ...किसी व्यक्ति की किसी से भी तू-तू--मैं -मैं भी नहीं होती ........ बाबा राम देव का अनशन व् आन्दोलन छ दिन चलता है ...संवेदनशील स्थान , रामलीला मैदान पर ...दिन- रात बीस से पचास हज़ार लोगों की भीड़ हर वक़्त रहती है , कोई तोड़ फोड़ नहीं होती ...एक पैसे का भी राष्ट्रीय सम्पति का नुक्सान नहीं होता ...किसी व्यक्ति की किसी से भी तू-तू--मैं -मैं भी नहीं होती ........ दोनों आन्दोलन मर्यादा में रहकर समाप्त हो जाते है , दोनों बार मुद्दे राष्ट्र हित में होते है ...सभी को फायदा होना होता है ...किसी व्यक्ति विशेष या समुदाय से जुड़े कोई भी मुद्दे नहीं ..सभी मुद्दे राष्ट्र हित,में ..... अब तस्वीर का दूसरा पहलू देखिये .. रमजान का पवित्र महिना चल रहा होता है ....मेट्रो की खुदाई में एक प्राचीन दीवार के अवशेष मिलते है......रातों रात सरकारी संपत्ति पर उन्मादी भीड़ द्वारा कब्ज़ा कर लिया जाता है ....पुलिस के ऊपर हमला किया जाता है ...कई व्यक्तियों की मौत हो जाती है ..अनगिनत घायल हो जाते है ...मामला हाई कोर्ट पहुँच जाता है ....और आदेश के वावजूद विवादित ढ़ांच नहीं गिराया जाता है ...मुसलमानों का इतना खौफ ....की पुलिस डंडे खाती है ..सरकार कोर्ट का आदेश पारित नहीं करवा पाती ....... दूसरा उदहारण मुम्बई के आज़ाद मैदान में अचानक पूर्व योजना के साथ उन्मादी भीड़ इकठी होती है....करोडो ..की संपत्ति जलाई जाती है...तोड़ फोड़ की जाती है ....कई व्यक्तियों की मौत होती है....अनगिनत घायल होते है ...पुलिस पर हमला होता है ...कई पुलिस वाले घायलहोते है ...मामला कोर्ट में पहुँच जाता है ....... दोनों बार भीड़ बिना किसी राष्ट्र हित के , बिना किसी कारण के , बिना मुद्दे के एकत्रित होती है ...उन्मादित होकर तोड़ फोड़ दंगा मचाती है . फैसला आपका है ..... कौन धर्म क्या सिखाता है ??? वर्तमान सरकार किसके साथ है ?? कौन ज्यादा टैक्स देता है ?? किसको ज्यादा छूट मिलती है ?? पुलिसिया कहर सबसे ज्यादा किसपर बरसता है ?? पुलिस किस समुदाय से बार - बार पिटती है ??? ठन्डे दिमाग से सोचना और बताना कीक्या हम सेकुलर देश में जी रहे है या किसी मुस्लिम राष्ट्र में ??? बहुसंख्यक होने के वावजूद भी...हमारा हाल ...अल्पसंख्यको से भी बदतर क्यों है ?

मानसिकता का अंतर ..और कौन धर्म क्या सिखाता है ---- पिछले एक महीने के ताज़ा उदहारण , अन्ना जी का अनशन नौ दिन चलता है..दिल्ली के अति महत्वपूर्ण स्थान जंतर-मंतर पर .....दो से दस हज़ार लोगों की भीड़ रात - दिन हर वक़्त मौजूद रहती है .....कोई तोड़ फोड़ नहीं होती ...एक पैसे का भी राष्ट्रीय सम्पति का नुक्सान नहीं होता ...किसी व्यक्ति की किसी से भी तू-तू--मैं -मैं भी नहीं होती ........ बाबा राम देव का अनशन व् आन्दोलन छ दिन चलता है ...संवेदनशील स्थान , रामलीला मैदान पर ...दिन- रात बीस से पचास हज़ार लोगों की भीड़ हर वक़्त रहती है , कोई तोड़ फोड़ नहीं होती ...एक पैसे का भी राष्ट्रीय सम्पति का नुक्सान नहीं होता ...किसी व्यक्ति की किसी से भी तू-तू--मैं -मैं भी नहीं होती ........ दोनों आन्दोलन मर्यादा में रहकर समाप्त हो जाते है , दोनों बार मुद्दे राष्ट्र हित में होते है ...सभी को फायदा होना होता है ...किसी व्यक्ति विशेष या समुदाय से जुड़े कोई भी मुद्दे नहीं ..सभी मुद्दे राष्ट्र हित,में ..... अब तस्वीर का दूसरा पहलू देखिये .. रमजान का पवित्र महिना चल रहा होता है ....मेट्रो की खुदाई में एक प्राचीन दीवार के अवशेष मिलते है......रातों रात सरकारी संपत्ति पर उन्मादी भीड़ द्वारा कब्ज़ा कर लिया जाता है ....पुलिस के ऊपर हमला किया जाता है ...कई व्यक्तियों की मौत हो जाती है ..अनगिनत घायल हो जाते है ...मामला हाई कोर्ट पहुँच जाता है ....और आदेश के वावजूद विवादित ढ़ांच नहीं गिराया जाता है ...मुसलमानों का इतना खौफ ....की पुलिस डंडे खाती है ..सरकार कोर्ट का आदेश पारित नहीं करवा पाती ....... दूसरा उदहारण मुम्बई के आज़ाद मैदान में अचानक पूर्व योजना के साथ उन्मादी भीड़ इकठी होती है....करोडो ..की संपत्ति जलाई जाती है...तोड़ फोड़ की जाती है ....कई व्यक्तियों की मौत होती है....अनगिनत घायल होते है ...पुलिस पर हमला होता है ...कई पुलिस वाले घायलहोते है ...मामला कोर्ट में पहुँच जाता है ....... दोनों बार भीड़ बिना किसी राष्ट्र हित के , बिना किसी कारण के , बिना मुद्दे के एकत्रित होती है ...उन्मादित होकर तोड़ फोड़ दंगा मचाती है . फैसला आपका है ..... कौन धर्म क्या सिखाता है ??? वर्तमान सरकार किसके साथ है ?? कौन ज्यादा टैक्स देता है ?? किसको ज्यादा छूट मिलती है ?? पुलिसिया कहर सबसे ज्यादा किसपर बरसता है ?? पुलिस किस समुदाय से बार - बार पिटती है ??? ठन्डे दिमाग से सोचना और बताना कीक्या हम सेकुलर देश में जी रहे है या किसी मुस्लिम राष्ट्र में ??? बहुसंख्यक होने के वावजूद भी...हमारा हाल ...अल्पसंख्यको से भी बदतर क्यों है ?

मानसिकता का अंतर ..और कौन धर्म क्या सिखाता है ---- पिछले एक महीने के ताज़ा उदहारण , अन्ना जी का अनशन नौ दिन चलता है..दिल्ली के अति महत्वपूर्ण स्थान जंतर-मंतर पर .....दो से दस हज़ार लोगों की भीड़ रात - दिन हर वक़्त मौजूद रहती है .....कोई तोड़ फोड़ नहीं होती ...एक पैसे का भी राष्ट्रीय सम्पति का नुक्सान नहीं होता ...किसी व्यक्ति की किसी से भी तू-तू--मैं -मैं भी नहीं होती ........ बाबा राम देव का अनशन व् आन्दोलन छ दिन चलता है ...संवेदनशील स्थान , रामलीला मैदान पर ...दिन- रात बीस से पचास हज़ार लोगों की भीड़ हर वक़्त रहती है , कोई तोड़ फोड़ नहीं होती ...एक पैसे का भी राष्ट्रीय सम्पति का नुक्सान नहीं होता ...किसी व्यक्ति की किसी से भी तू-तू--मैं -मैं भी नहीं होती ........ दोनों आन्दोलन मर्यादा में रहकर समाप्त हो जाते है , दोनों बार मुद्दे राष्ट्र हित में होते है ...सभी को फायदा होना होता है ...किसी व्यक्ति विशेष या समुदाय से जुड़े कोई भी मुद्दे नहीं ..सभी मुद्दे राष्ट्र हित,में ..... अब तस्वीर का दूसरा पहलू देखिये .. रमजान का पवित्र महिना चल रहा होता है ....मेट्रो की खुदाई में एक प्राचीन दीवार के अवशेष मिलते है......रातों रात सरकारी संपत्ति पर उन्मादी भीड़ द्वारा कब्ज़ा कर लिया जाता है ....पुलिस के ऊपर हमला किया जाता है ...कई व्यक्तियों की मौत हो जाती है ..अनगिनत घायल हो जाते है ...मामला हाई कोर्ट पहुँच जाता है ....और आदेश के वावजूद विवादित ढ़ांच नहीं गिराया जाता है ...मुसलमानों का इतना खौफ ....की पुलिस डंडे खाती है ..सरकार कोर्ट का आदेश पारित नहीं करवा पाती ....... दूसरा उदहारण मुम्बई के आज़ाद मैदान में अचानक पूर्व योजना के साथ उन्मादी भीड़ इकठी होती है....करोडो ..की संपत्ति जलाई जाती है...तोड़ फोड़ की जाती है ....कई व्यक्तियों की मौत होती है....अनगिनत घायल होते है ...पुलिस पर हमला होता है ...कई पुलिस वाले घायलहोते है ...मामला कोर्ट में पहुँच जाता है ....... दोनों बार भीड़ बिना किसी राष्ट्र हित के , बिना किसी कारण के , बिना मुद्दे के एकत्रित होती है ...उन्मादित होकर तोड़ फोड़ दंगा मचाती है . फैसला आपका है ..... कौन धर्म क्या सिखाता है ??? वर्तमान सरकार किसके साथ है ?? कौन ज्यादा टैक्स देता है ?? किसको ज्यादा छूट मिलती है ?? पुलिसिया कहर सबसे ज्यादा किसपर बरसता है ?? पुलिस किस समुदाय से बार - बार पिटती है ??? ठन्डे दिमाग से सोचना और बताना कीक्या हम सेकुलर देश में जी रहे है या किसी मुस्लिम राष्ट्र में ??? बहुसंख्यक होने के वावजूद भी...हमारा हाल ...अल्पसंख्यको से भी बदतर क्यों है ?

Monday, August 6, 2012

it's amazing kya aap jante hai ?

जिस समय न्यूटन के पुर्वज जंगली लोग थे ,उस समय मह्रिषी भाष्कराचार्य ने प्रथ्वी की गुरुत्वाकर्षण शक्ति पर एक पूरा ग्रन्थ रच डाला था. किन्तु आज हमें कितना बड़ा झूंठ पढना पढता है कि गुरुत्वाकर्षण शक्ति कि खोंज न्यूटन ने की ,ये हमारे लिए शर्म की बात है. भास्कराचार्य सिद्धान्त की बात कहते हैं कि वस्तुओं की शक्ति बड़ी विचित्र है। मरुच्लो भूरचला स्वभावतो यतोविचित्रावतवस्तु शक्त्य:।। - सिद्धांतशिरोमणि गोलाध्याय - भुवनकोश आगे कहते हैं- आकृष्टिशक्तिश्च मही तया यत् खस्थं गुरुस्वाभिमुखं स्वशक्तत्या। आकृष्यते तत्पततीवभाति समेसमन्तात् क्व पतत्वियं खे।। - सिद्धांतशिरोमणि गोलाध्याय - भुवनकोश अर्थात् पृथ्वी में आकर्षण शक्ति है। पृथ्वी अपनी आकर्षण शक्ति से भारी पदार्थों को अपनी ओर खींचती है और आकर्षण के कारण वह जमीन पर गिरते हैं। पर जब आकाश में समान ताकत चारों ओर से लगे, तो कोई कैसेगिरे? अर्थात् आकाश में ग्रह निरावलम्ब रहते हैं क्योंकि विविध ग्रहों की गुरुत्व शक्तियाँ संतुलन बनाए रखती हैं। ऐसे ही अगर यह कहा जाय की विज्ञान के सारे आधारभूत अविष्कार भारत भूमि पर हमारे विशेषज्ञ ऋषि मुनियों द्वारा हुए तो इसमें कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी ! सबके प्रमाण उपलब्ध हैं ! आवश्यकता स्वभाषा में विज्ञान की शिक्षा दिए जाने की है !