Wednesday, August 15, 2012

मानसिकता का अंतर ..और कौन धर्म क्या सिखाता है ---- पिछले एक महीने के ताज़ा उदहारण , अन्ना जी का अनशन नौ दिन चलता है..दिल्ली के अति महत्वपूर्ण स्थान जंतर-मंतर पर .....दो से दस हज़ार लोगों की भीड़ रात - दिन हर वक़्त मौजूद रहती है .....कोई तोड़ फोड़ नहीं होती ...एक पैसे का भी राष्ट्रीय सम्पति का नुक्सान नहीं होता ...किसी व्यक्ति की किसी से भी तू-तू--मैं -मैं भी नहीं होती ........ बाबा राम देव का अनशन व् आन्दोलन छ दिन चलता है ...संवेदनशील स्थान , रामलीला मैदान पर ...दिन- रात बीस से पचास हज़ार लोगों की भीड़ हर वक़्त रहती है , कोई तोड़ फोड़ नहीं होती ...एक पैसे का भी राष्ट्रीय सम्पति का नुक्सान नहीं होता ...किसी व्यक्ति की किसी से भी तू-तू--मैं -मैं भी नहीं होती ........ दोनों आन्दोलन मर्यादा में रहकर समाप्त हो जाते है , दोनों बार मुद्दे राष्ट्र हित में होते है ...सभी को फायदा होना होता है ...किसी व्यक्ति विशेष या समुदाय से जुड़े कोई भी मुद्दे नहीं ..सभी मुद्दे राष्ट्र हित,में ..... अब तस्वीर का दूसरा पहलू देखिये .. रमजान का पवित्र महिना चल रहा होता है ....मेट्रो की खुदाई में एक प्राचीन दीवार के अवशेष मिलते है......रातों रात सरकारी संपत्ति पर उन्मादी भीड़ द्वारा कब्ज़ा कर लिया जाता है ....पुलिस के ऊपर हमला किया जाता है ...कई व्यक्तियों की मौत हो जाती है ..अनगिनत घायल हो जाते है ...मामला हाई कोर्ट पहुँच जाता है ....और आदेश के वावजूद विवादित ढ़ांच नहीं गिराया जाता है ...मुसलमानों का इतना खौफ ....की पुलिस डंडे खाती है ..सरकार कोर्ट का आदेश पारित नहीं करवा पाती ....... दूसरा उदहारण मुम्बई के आज़ाद मैदान में अचानक पूर्व योजना के साथ उन्मादी भीड़ इकठी होती है....करोडो ..की संपत्ति जलाई जाती है...तोड़ फोड़ की जाती है ....कई व्यक्तियों की मौत होती है....अनगिनत घायल होते है ...पुलिस पर हमला होता है ...कई पुलिस वाले घायलहोते है ...मामला कोर्ट में पहुँच जाता है ....... दोनों बार भीड़ बिना किसी राष्ट्र हित के , बिना किसी कारण के , बिना मुद्दे के एकत्रित होती है ...उन्मादित होकर तोड़ फोड़ दंगा मचाती है . फैसला आपका है ..... कौन धर्म क्या सिखाता है ??? वर्तमान सरकार किसके साथ है ?? कौन ज्यादा टैक्स देता है ?? किसको ज्यादा छूट मिलती है ?? पुलिसिया कहर सबसे ज्यादा किसपर बरसता है ?? पुलिस किस समुदाय से बार - बार पिटती है ??? ठन्डे दिमाग से सोचना और बताना कीक्या हम सेकुलर देश में जी रहे है या किसी मुस्लिम राष्ट्र में ??? बहुसंख्यक होने के वावजूद भी...हमारा हाल ...अल्पसंख्यको से भी बदतर क्यों है ?

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