Sunday, July 8, 2012

श्री रामायण कल्पना नही जीवन की सच्चाई है दुनिया की सबसे पुरानी सनातन संस्कृति पर अक्सर आरोप लगते है कि वह केवल कल्पना है. लेकिन पिछले कुछ सालों में हुए साइंटिफिक खुलासों ने साबित कर दिया है कि परभु श्री राम कोई कल्पना नही बल्कि एक मीठी सच्चाई है. वैगयानिकों ने रामायण काल की असली तारीख निकालने के बाल्मिकी रामायण का सहारा लिया और साबित करदिया कि भगवान श्री ने बुआियों काख़ात्मा करने के लिए इस धरती पर अवतार लिया था. बाल्मिकी रामायण श्री राम के सिंहासन पर बैठने के बाद लिखी गई. इस कथा को लिखने वालेमहर्षि बाल्मिकी एक महान खगोलविदथे. उन्होने अपनी कथा में राशि, ग्रह और नक्षत्रों की स्थितियों का वर्णन किया था. प्लेनेटरीयम सॉफ़्टवेर की मदद से वैगयानिकों ने उन खगोलीय स्थितियों के आँकड़ों को कंप्यूटर में डाला तो धीरे धीरे श्री रामायण युग की वास्तविक तारीखों का रहस्य उजागरहोता चला गया. इस सॉफ्टवेर के ज़रिए सबसे पहले श्री राम के जानमकी वास्तविक तारीख पता की गयी. बाल्मिकी रामायण के अनुसार श्री राम का जन्म चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की नवमी हुआ था. उस समय सूर्या, मंगल, गुरु, शुक्र, शनि ये पाँच ग्रह उच्च पक्ष में विधमान थे. चैत्र माह में शुक्ल पक्ष नवमी के दोपहर 12 बजे का समय था. जबइन स्थितियों को कंप्यूटर में डाला गया तो वह 10 जनवरी 5114 ईसा पूर्व निकली. इसी प्रकार श्रीराम के वनवास की तारीख 5 जनवरी 5089 ईसा पूर्व निकली.. 14 साल के वनवास को जाते समय श्री राम की आयु 25 वर्ष थी. श्री राम ने वनवासके 13वें साल में खर- दुषण का वध किया. उनके वध की तारीख 5 अक्तूबर 5077 ईसा पूर्व रही है. उस दिन सूर्य ग्रहण हुआ था और रात को अमावस्या थी. प्लेनेतेरियमसॉफ़्टवेयर के अनुसार हनुमान जी 14 सितंबर 5076 ईसा पूर्व को सवेरे साढ़े 6 बजे लंका दहन करके श्री राम के पास वापस पहुँचे थे. श्री राम रावण का वध करके 2 जनवरी 5076 ईसापूर्व को वापस अयोध्या पहुँचे. उससमय उनकी उम्र 39 वर्ष हो चुकी थी.बाल्मिकी रामायण के अनुसार रमेश्वरम से श्रीलंका तक समुद्र के ऊपर पुल बनाया. नासा समेत अन्य स्पेस एजेंसियाँ अपने सेटेलीट फोटॉन के ज़रिए श्री राम सेतु के होने की पुष्टि कर चुकी हैं. जय श्री राम जय श्री सनातन संस्कृति

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