Thursday, September 8, 2011

awesome poem

कुछ पल के लिए तो ठहर जा साथिया,
जीवन भर के लिए अपने नज़रों में उतार लूँ,
फिर ये खुबसूरत शाम मिले ना मिले,
तुझको अपने दिल में बसा लूँ साथिया।।

कुछ मंज़र के लिए अपना नकाब उठा दे साथिया,
जी भर के लिए अपने ख्वाबों में निहार लूँ,
फिर ये हसीन दीदार नसीब हो ना हो,
तुझको अपने अरमानों में सजा लूँ साथिया।।

कुछ रातों के लिए अपनी कस्तुरी उधार दे दे साथिया,
तेरी कस्तुरी से अपने नसीब को महका लूँ,
फिर ये नायाब महक महके या ना महके,
तुझको अपने पलकों में बिठा लूँ साथिया।।

कुछ समय के लिए अपना प्रकाश रगो में भर दे दे साथिया,
तेरे इसी प्रकाश से अपना जीवन प्रकाशमय कर लूँ,
फिर ये कायनात प्रकाश दमके ना दमके
तुझको अपने सीने में कैद कर लूँ साथिया।।

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